Edited By Mamta Yadav,Updated: 16 Aug, 2025 07:54 PM

सहारनपुर में प्रकृति कुंज की वाटिका में दुर्लभ प्रजाति का पुष्प ‘ब्रह्म कमल’ मिलने से लोगों में उसे देखने और जानने का कौतुहल बना है। प्रकृति कुंज के निदेशक एवं पर्यावरणविद् राजेंद्र अग्रवाल अटल ने आज बताया कि जिसे आमतौर पर ब्रह्म कमल के नाम से जाना...
Saharanpur News: सहारनपुर में प्रकृति कुंज की वाटिका में दुर्लभ प्रजाति का पुष्प ‘ब्रह्म कमल’ मिलने से लोगों में उसे देखने और जानने का कौतुहल बना है। प्रकृति कुंज के निदेशक एवं पर्यावरणविद् राजेंद्र अग्रवाल अटल ने आज बताया कि जिसे आमतौर पर ब्रह्म कमल के नाम से जाना जाता है, एस्टेरेसी वर्ग में फूलों के पौधें की यह एक दुर्लभ प्रजाति है जो हिमालय के अल्पाइन घास के मैदानों भारत, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान और दक्षिण-पश्चिम चीन में 3700 से 4600 मीटर की ऊंचाई पर पायी जाती है। उन्होंने अपने यहां प्रकृति कुंज में खास उपाय और विधि के जरिए ब्रह्म कमल को विकसित किया और वह खुद इस पौधे पर ब्रह्म कमल खिलने से रोमांचित और अचंभित हैं।
उद्यान वैज्ञानिकों में पुष्प को लेकर काफी मतभेद
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने 2007 में ब्रह्म कमल को राज्य पुष्प घोषित किया था। विशेष बात यह है कि प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर में इस पुष्प को प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत में इसे ब्रह्म कमल के नाम से जाना जाता है और चिकित्सा के रूप में पौधे की मोटी घुमावदार जड़ को चोट और कटने पर लगाया जाता है। इस पुष्प के खिलने की अवधि को लेकर उद्यान वैज्ञानिकों में काफी मतभेद हैं। कुछ का कहना है कि यह छह माह में एक बार खिलता है और ब्रह्म कमल की कुछ दुर्लभ प्रजातियां ऐसी हैं जिन पर 50 वर्ष में एक बार यह फूल खिलता है।
रात के समय खिलता है और रात के वक्त मुरझा जाता है
भारत सरकार ने 1982 में इस पुष्प पर डाक टिकट जारी किया था। ब्रह्म कमल बहुत ही दुर्लभ पुष्प माना जाता है और यह बहुत ही संवेदनशील प्रकृति का पुष्प है जिसके नजदीक जाने से इस पर घातक प्रभाव पड़ता है। यह रात के समय खिलता है और रात के वक्त मुरझा जाता है। भारतीय धर्म और संस्कृति में इसे घरों में लगाना धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पुण्य का कार्य माना जाता है।
हिंदू धर्म में ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है ब्रह्म कमल
राजेन्द्र अटल के यहां ब्रह्म कमल के कई पौधे लगे हुए हैं और पहली बार ब्रह्म कमल का एक लुभावना और आकर्षक पुष्प खिला है। जिसको देखने से आनंद और उल्लास मिल रहा है। जिस किसी को भी इसके बारे में पता चल रहा है। वह दर्शन के लिए वहां पहुंच रहा है। पांच मीटर की दूरी से इस पुष्प को देखा और निहारा जा सकता है। हिंदू धर्म में ब्रह्म कमल को ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है।
इस फूल की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा की आंखों के आंसुओं से हुई
पर्यावरणविद् के मुताबिक इस फूल की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा की आंखों के आंसुओं से हुई है। यह पवित्रता, शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है। राजेंद्र अटल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के विशिष्ट जलवायु वाले क्षेत्र में ब्रह्म कमल के खिलने को ईश्वर के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं। जबकि ब्रह्म कमल की प्रकृति यहां की जलवायु के बिलकुल भी उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रकृति कुंज की मिट्टी में और यहां की जलवायु में जरूर कोई खासियत है जिससे उन्हें दुर्लभ पुष्प ब्रह्म कमल के आसानी से दर्शन हो गए।