Edited By Anil Kapoor,Updated: 14 Aug, 2025 11:14 AM

Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से एक बेहद दुखद और चिंताजनक मामला सामने आया है। जहां एक 18 वर्षीय किशोरी को सांप ने काट लिया, लेकिन समय रहते अस्पताल पहुंचाने की बजाय परिवार ने पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया। नतीजा ये हुआ कि किशोरी की हालत...
Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से एक बेहद दुखद और चिंताजनक मामला सामने आया है। जहां एक 18 वर्षीय किशोरी को सांप ने काट लिया, लेकिन समय रहते अस्पताल पहुंचाने की बजाय परिवार ने पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया। नतीजा ये हुआ कि किशोरी की हालत बिगड़ती गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना विंढमगंज थाना क्षेत्र के ग्राम जाताजुआ की है। मंगलवार को 18 साल की अंजली कुमारी जो खेत में बादाम काट रही थी, तभी एक जहरीले सांप ने उसे डस लिया। मौके पर मौजूद लोग और परिजन घबरा गए, लेकिन उन्होंने तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय गांव के एक ओझा (झाड़-फूंक करने वाले) के पास ले जाने का फैसला किया।
2-3 घंटे तक चला झाड़-फूंक, बिगड़ती रही हालत
ओझा के पास अंजली का इलाज झाड़-फूंक के जरिए करीब 2 से 3 घंटे तक चलता रहा। इस दौरान अंजली की हालत लगातार बिगड़ती रही। जब स्थिति बेहद खराब हो गई, तब परिजनों ने उसे लेकर विंढमगंज के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। वहां से प्राथमिक इलाज के बाद दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर किया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अंजली ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
डॉक्टरों का साफ कहना: समय पर अस्पताल लाते, बच सकती थी जान
डॉक्टरों का कहना है कि अगर अंजली को सांप के काटते ही अस्पताल लाया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। लेकिन झाड़-फूंक में जो कीमती समय बर्बाद हुआ, वही उसकी मौत की वजह बना।
मां बोली: मुझे भी 3 बार सांप ने काटा था, झाड़-फूंक से बच गई थी
अंजली की मौत के बाद भी परिजन अंधविश्वास में डटे रहे। उसकी मां ने दावा किया कि उसे भी पहले तीन बार सांप ने काटा था, और हर बार ओझा की झाड़-फूंक से वह बच गई थी। उसने कहा कि मैं तो ठीक हो गई थी, मेरी बेटी क्यों नहीं बच पाई?” जब उससे यही सवाल किया गया तो उसने जवाब दिया कि बेटी पर किसी ने जादू-टोना कर दिया था, इसलिए झाड़-फूंक का असर नहीं हुआ।
परिजन बोले: अभी शव ठंडा नहीं पड़ा, बचा सकता है ओझा
अंजली की मौत के बाद भी मां और भाई को उम्मीद थी कि ओझा उसे फिर से जीवित कर सकता है। उनका कहना था कि अभी शरीर पूरी तरह ठंडा नहीं पड़ा है, इसलिए अगर उसे ओझा के पास ले जाया जाए, तो शायद कुछ हो सके।
परिवार में दूसरी बार मौत का मातम
जानकारी के मुताबिक, अंजली अपने चार बहनों और एक भाई में सबसे छोटी थी। करीब 10 साल पहले उसकी एक बड़ी बहन की भी मौत हो चुकी है। अब अंजली की मौत ने परिवार को एक और गहरा सदमा दिया है।
ग्रामीणों में चर्चा, अंधविश्वास बना मौत की वजह
इस पूरे मामले ने गांव और आसपास के इलाके में चर्चा को जन्म दे दिया है। लोग कह रहे हैं कि आज के समय में भी जब इलाज और अस्पताल की सुविधाएं उपलब्ध हैं, अंधविश्वास के चलते जानें जा रही हैं।