सरकारी कर्मचारी की बर्खास्तगी रद्द: HC ने कहा- 'दूसरी शादी करने के बावजूद नौकरी से नहीं हटाया जा सकता'

Edited By Mamta Yadav,Updated: 25 Aug, 2023 12:48 AM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दूसरा विवाह करने के आरोपी सरकारी कर्मचारी को राहत देते हुये उसकी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और आदेश दिया कि उसे महीने भर के भीतर बहाल किया जाए। साथ ही वेतन सहित अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। अदालत ने कहा कि याची के तर्क सही है...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दूसरा विवाह करने के आरोपी सरकारी कर्मचारी को राहत देते हुये उसकी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और आदेश दिया कि उसे महीने भर के भीतर बहाल किया जाए। साथ ही वेतन सहित अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। अदालत ने कहा कि याची के तर्क सही है और उसे दी गई सजा अन्यायपूर्ण है। दूसरी शादी पर्याप्त रूप से साबित नहीं होती है। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने प्रभात भटनागर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
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दो विवाह के आरोप में नौकरी से निकाला गया
दरअसल, यूपी के प्रभात भटनागर नाम के एक व्यक्ति ने कोर्ट में एक याचिका दर्ज की। वे बरेली जिला विकास अधिकारी के ऑफिस में कर्मचारी (प्रशिक्षु) थे। लेकिन एक समय पर दो विवाह के आरोप में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि सेवा से बर्खास्त करने से पहले कोई जांच नहीं की गई। उनके विभागीय अपील सरसरी तौर पर खारिज कर दी गई। प्रभात भटनागर की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। उनकी पहली पत्नी के अलावा किसी का बयान नहीं है और जिस दस्तावेज में उनकी दूसरी पत्नी के साथ उनके शादी की बात दर्ज है उसे भी बाद में सुधारा जा चुका है।
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'भले ही दो शादी हुईं हों, लेकिन...'
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने कहा कि भले ही दो शादी हुई हो, लेकिन याचिकाकर्ता को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 में सरकारी कर्मचारी की दूसरी शादी के मामले में केवल मामूली सजा का प्रावधान है। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने कोर्ट में कहा, ‘हिंदू मैरिज एक्ट,1955 और इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 के तथ्यात्मक और कानूनी प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए न्यायालय और संबंधित अधिकारियों के सामने ऐसे कोई भी सबूत मौजूद नहीं है। ऐसे अपराध के लिए मामूली सज़ा का प्रावधान है।’ कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नौकरी पर दोबारा बहाल किए जाने का आदेश दिया है। आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि नौकरी से बर्खास्त किए जाने से लेकर अब तक याचिकाकर्ता आर्थिक सहायता दी जाए।

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