Edited By Anil Kapoor,Updated: 18 Aug, 2025 09:45 AM

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में सरकारी जमीन पर बनी अवैध दुकानों और कब्रिस्तान पर बुलडोजर चलाए जाने की कार्रवाई को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और...
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में सरकारी जमीन पर बनी अवैध दुकानों और कब्रिस्तान पर बुलडोजर चलाए जाने की कार्रवाई को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और प्रशासन पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
शेर खां सराय गांव में गाटा संख्या 128 और 129 पर स्थित एक कब्रिस्तान पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। इसके अलावा, हसनपुर रोड पर सरकारी जमीन पर बनी 12 अवैध दुकानों को भी गिराया गया।
सांसद बर्क का आरोप
सांसद बर्क ने कहा कि यह कब्रिस्तान 300 साल पुराना है और इसका धार्मिक महत्व है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतिहासिक कब्रिस्तान को अवैध कहकर कैसे तोड़ा जा सकता है? यह हमारे धर्म और भावना पर सीधा हमला है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई है, लेकिन फिर भी प्रशासन मनमानी कर रहा है। हसनपुर मार्ग पर हुई दुकानों की तोड़फोड़ पर भी उन्होंने कहा कि यह गरीब दुकानदारों की रोज़ी-रोटी छीनने की साजिश है। उनका कहना है कि नोटिस देने के बावजूद दुकानदारों को उचित समय नहीं दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट आदेश की अवहेलना?
बर्क का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बिना जांच और प्रक्रिया के बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ संपत्तियों को गिराने की बात नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय को दबाने की साजिश है।
प्रशासन की सफाई
प्रशासन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कार्रवाई पूरी तरह से कानून के तहत और वैध प्रक्रिया से की गई। तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने बताया कि हसनपुर रोड पर जो दुकानें गिराई गईं, वो PWD की सरकारी जमीन पर बनी थीं। पहले नोटिस जारी किया गया, लेकिन जब कब्जा नहीं हटाया गया, तब मजबूरी में कार्रवाई की गई। सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार ने कब्रिस्तान के बारे में बताया कि गाटा संख्या 128 और 129 पर बनी संरचनाएं कागजों में कब्रिस्तान नहीं थीं, और 9 जुलाई को तहसीलदार कोर्ट के आदेश के बाद ही कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान कोई विरोध या हंगामा नहीं हुआ, सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से किया गया।
क्या कहते हैं राजनीतिक मायने?
इस पूरे मामले ने अब सांप्रदायिक रंग ले लिया है। सांसद का बयान सामने आने के बाद स्थानीय राजनीति गरमा गई है और कई संगठन इसे 'भेदभाव' और 'धार्मिक निशाना बनाए जाने' के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है और अवैध कब्जों को हटाना जरूरी था।