Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Jun, 2025 09:39 PM

बुंदेलखंड के महोबा जनपद से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत उजागर कर दी है। यहां के जिला अस्पताल में एक टीबी (क्षयरोग) पीड़ित मरीज को टीबी वार्ड में भर्ती करने के बजाय सामान्य वार्ड में रखा गया। यही नहीं उसे खुद...
Mahoba News, (अमित श्रोतीय): बुंदेलखंड के महोबा जनपद से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत उजागर कर दी है। यहां के जिला अस्पताल में एक टीबी (क्षयरोग) पीड़ित मरीज को टीबी वार्ड में भर्ती करने के बजाय सामान्य वार्ड में रखा गया। यही नहीं उसे खुद अपने हाथ से इंजेक्शन लगाते हुए भी देखा गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसने स्वास्थ्य महकमे को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
यहां न डॉक्टर मौजूद हैं, न नर्स... मरीज खुद लगा रहा इंजेक्शन
बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा युवक टीबी का मरीज है। वीडियो में वह अस्पताल के वार्ड नंबर-1 में खुद को डेरी डेक्सा नामक इंजेक्शन लगाता दिख रहा है। यह इंजेक्शन टीबी के इलाज में प्रयोग होता है और इसे प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में ही मरीज को दिया जाना चाहिए। लेकिन यहां न डॉक्टर मौजूद हैं, न नर्स। मरीज खुद इंजेक्शन लगाता है, जिससे संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ गया है। सबसे बड़ी चूक यह है कि मरीज को टीबी वार्ड में न रखकर सामान्य वार्ड नंबर-1 में भर्ती किया गया, जहां पहले से ही अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज और छोटे बच्चे इलाज के लिए भर्ती हैं।
दर्जनों मरीजों और तीमारदारों की जान खतरे में
बता दें कि टीबी एक संक्रामक रोग है, जो हवा के माध्यम से फैलता है। ऐसे में इस मरीज को सामान्य वार्ड में रखने से दर्जनों मरीजों और तीमारदारों की जान को खतरे में डाल दिया गया है। वीडियो वायरल होने के बाद वार्ड में दहशत का माहौल बन गया है। वार्ड में भर्ती मरीज सुनीता शुक्ला ने कहा कि हमने जब अस्पताल प्रशासन से इसकी शिकायत की तो किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने बताया कि हमने कई बार कहा कि टीबी का मरीज हमारे बीच न रखा जाए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, अन्य मरीज अभिलाषा और रिंकू ने बताया कि उन्हें पास के बेड पर भर्ती मरीज के टीबी पीड़ित होने की जानकारी वीडियो के वायरल होने के बाद हुई। तब से हम सभी डरे हुए हैं और अस्पताल में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब महोबा जिला अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा हो। पूर्व में भी इलाज में कोताही, डॉक्टरों की अनुपलब्धता और मरीजों से दुर्व्यवहार की खबरें सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार मामला गंभीर है।
आखिर अस्पताल प्रशासन ने टीबी मरीज को सामान्य वार्ड में क्यों रखा?
लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन खुलेआम मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। टीबी जैसे गंभीर और संक्रामक रोग के मरीज को अन्य मरीजों के बीच रखना न केवल चिकित्सा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि आम लोगों की जान जोखिम में डालना भी है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल उठना लाज़िमी है कि आखिर अस्पताल प्रशासन ने टीबी मरीज को सामान्य वार्ड में क्यों रखा? क्या अस्पताल में अलग वार्ड उपलब्ध नहीं है? क्या स्टाफ की इतनी कमी है कि मरीज को स्वयं इंजेक्शन लगाने की अनुमति दे दी गई? या फिर यह सब जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी का परिणाम है? जब इस मामले को लेकर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पवन अग्रवाल से बात की गई, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए जांच की बात कही है। बहरहाल, इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार केवल कागजों तक सीमित है। जब तक अस्पतालों में जवाबदेही तय नहीं होगी और लापरवाह कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मरीजों की जान इसी तरह खतरे में पड़ती रहेगी।