'लड़की ही जिम्मेदार, खुद ही ली आफत मोल...' रेप केस में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की टिप्पणी

Edited By Pooja Gill,Updated: 11 Apr, 2025 02:42 PM

the girl is responsible she invited trouble upon herself

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि ‘भले ही पीड़िता का आरोप सही मान लिया जाए तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि ‘भले ही पीड़िता का आरोप सही मान लिया जाए तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद आफत मोल ली और इसके लिए वह भी जिम्मेदार है।' न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने पिछले महीने पारित इस आदेश में कहा कि युवती के चिकित्सा परीक्षण में ‘उसका शील भंग पाया गया, लेकिन डाक्टर ने यौन हमले के बारे में कोई ‘विशेषज्ञ' राय नहीं दी।' 

याचिकाकर्ता के वकील की दलील  
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह पीड़िता द्वारा स्वीकार किया गया है कि वह बालिग है और पीजी छात्रावास में रहती है। वकील ने कहा कि वह (पीड़िता) नियम तोड़कर अपनी सहेलियों और पुरुष मित्रों के साथ “दि रिकॉर्ड रूम बार रेस्तरां” गई, जहां उसने सबके साथ शराब पी जिससे वह नशे में चूर हो गई। उन्होंने कहा कि लड़की अपने साथियों के साथ उस बार में तड़के तीन बजे तक रही, चूंकि उसे मदद की जरूरत थी, इसलिए वह खुद याचिकाकर्ता के घर जाकर आराम करने को राजी हुई। 

पीड़िता का ये आरोप 
वकील ने कहा कि उसका (पीड़िता का) यह आरोप कि याचिकाकर्ता उसे अपने घर ले जाने के बजाय अपने रिश्तेदार के फ्लैट में ले गया जहां उसने दो बार दुष्कर्म किया, झूठा है तथा रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य के विपरीत है। वकील ने यह दलील भी दी कि पीड़िता द्वारा उल्लिखित तथ्यों पर विचार करने पर लगता है कि यह दुष्कर्म का नहीं, बल्कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति से संबंध बनाने का मामला है। अदालत ने कहा, “संबंधित पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और पूरे मामले पर गौर करने के बाद इस बात में कोई विवाद नहीं है कि पीड़िता और याचिकाकर्ता दोनों बालिग हैं। पीड़िता एमए की छात्रा है, इसलिए वह अपने कार्य की नैतिकता और महत्व को समझने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम है।” 

अदालत की टिप्पणी 
अदालत ने कहा, “भले ही पीड़िता के आरोप को सही मान लिया जाए तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद मुसीबत मोल ली और वह भी इसके लिए जिम्मेदार है। यही रुख पीड़िता द्वारा अपने बयान में लिया गया है। उसके चिकित्सा परीक्षण में उसका शीलभंग पाया गया, लेकिन डाक्टर ने यौन हमले को लेकर कोई राय नहीं दी।” न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, “इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और अपराध की प्रकृति को देखते हुए मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता को जमानत देने का मामला बनता है। इसलिए उसकी जमानत याचिका स्वीकार की जाती है।”


 

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