Edited By Pooja Gill,Updated: 24 Jan, 2023 02:12 PM

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य(Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर विवादित बयान दिया है, जिसके बाद वो चौतरफा घिर गए है। नेता के इस बयान के बाद नाराज लोगों...
लखनऊः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया है, जिसके बाद वो चौतरफा घिर गए है। नेता के इस बयान के बाद नाराज लोगों ने जमकर हंगामा किया और उनके बयान की निंदा की। सपा नेता की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। एक तरफ भाजपा (BJP) हमलावर है तो दूसरी तरफ संत और हिन्दू संगठनों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। इसी के चलते स्वामी प्रसाद मौर्य का मंदिर में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।

बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर दिए गए एक बयान में इस पवित्र ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते।
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इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद हिंदू संगठनों में नाराजगी बढ़ गई। उन्होंने इस बयान का विरोध किया और सपा नेता को माफी मांगने के लिए कहा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य के मंदिर में प्रवेश पर लगाई रोक
राजधानी लखनऊ के प्राचीन लेटे हनुमान मंदिर के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें मौर्य को अधर्मी बताते हुए मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने का ऐलान किया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य अपने इस बयान को लेकर चौतरफा घिरे हुए हैं।
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सिर्फ हिंदू ही नहीं मुस्लिम धर्मगुरु भी इस बयान पर कड़ी आपत्ति जता चुके हैं। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि मैं स्वामी प्रसाद के बयान की मज्जमत करता हूं। स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए गए बयान के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन हो रहे हैं और उनके खिलाफ 3 थानों में तहरीर दी गई है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कही ये बातें
एक निजी समाचार पत्र से बात करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं, लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं। रामचरितमानस में एक चौपाई लिखी है, जिसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं।