Edited By Anil Kapoor,Updated: 26 Dec, 2025 11:18 AM

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक फर्जी लूट मामले को लेकर अदालत ने पुलिस के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। एक व्यक्ति को झूठे आरोप में 3 साल तक जेल भेजने के मामले में संभल की अदालत ने 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश......
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक फर्जी लूट मामले को लेकर अदालत ने पुलिस के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। एक व्यक्ति को झूठे आरोप में 3 साल तक जेल भेजने के मामले में संभल की अदालत ने 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश बुधवार को पीड़ित ओमवीर कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
अदालत ने उठाए पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
50 वर्षीय ओमवीर कुमार का आरोप है कि पुलिस ने किसी बड़ी सफलता को दिखाने के लिए उन्हें झूठे लूट केस में फंसा दिया। इतना ही नहीं, उन्हें मीडिया के सामने एक अंतरराष्ट्रीय चोर के रूप में पेश किया गया। ओमवीर के वकील सुकांत कुमार ने बताया कि अदालत ने इस मामले में दो इंस्पेक्टर, चार सब-इंस्पेक्टर और सात अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
लूट के वक्त जेल में था आरोपी
पुलिस के अनुसार, 25 अप्रैल 2022 को संभल में दूध विक्रेता दुर्वेश से करीब एक लाख रुपये की लूट हुई थी। इस मामले में पुलिस ने 7 जुलाई 2022 को ओमवीर कुमार और ऋषिपाल को गिरफ्तार किया। लेकिन अदालत और जेल रिकॉर्ड से चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। रिकॉर्ड के मुताबिक, ओमवीर उस समय बदायूं जेल में बंद थे और 11 अप्रैल से 12 मई 2022 तक आर्म्स एक्ट के एक मामले में जेल में थे। अदालत ने सवाल किया कि जब ओमवीर पहले से जेल में थे, तो वे लूट की वारदात कैसे कर सकते थे?
पुरानी रंजिश में फंसाने का आरोप
ओमवीर ने अदालत को बताया कि गांव के प्रधान से उनकी पुरानी रंजिश थी और कुछ पुलिसकर्मी प्रधान के संपर्क में थे। उनका आरोप है कि लंबित मामलों में नतीजे दिखाने के दबाव में पुलिस ने उन्हें और ऋषिपाल को जबरन गिरफ्तार किया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्हें खतरनाक अपराधी बताया गया और 19 टूटी हुई मोटरसाइकिलों को बरामदगी के रूप में दिखाया गया।
तीन साल जेल, उजड़ गया परिवार
जहां सह-आरोपी ऋषिपाल को पहले ही जमानत मिल गई थी, वहीं ओमवीर को करीब तीन साल तक जेल में रहना पड़ा। ओमवीर ने बताया कि इस दौरान उनका पूरा परिवार बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा, “पहले मेरे पास कई बीघा जमीन थी, आज एक बीघा भी नहीं बची। किराए के कमरे में रह रहा हूं। जिन बच्चों को पढ़ाने का सपना था, वे आज शादी-ब्याह में मजदूरी करके घर चला रहे हैं।”
पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल
अदालत के इस आदेश के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह मामला शक्ति के दुरुपयोग, झूठे केस, लंबी अवैध हिरासत और एक परिवार के सामाजिक-आर्थिक विनाश की कहानी बयान करता है। अब अदालत के आदेश के बाद 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।