Edited By Ramkesh,Updated: 15 Aug, 2025 04:26 PM

सरकार तालाब और पोखरों सहित कुछ अन्य सरकारी संपत्तियों को संरक्षित करने में जुटी है, लेकिन यहां के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से गजब का खेल चल रहा है। जिसे जानकर आप हैरान हो जायेंगे कि जो खतौनी वर्ष 2023 में मात्र 15 बिस्वा की...
अम्बेडकरनगर ( कार्तिकेय द्विवेदी ): सरकार तालाब और पोखरों सहित कुछ अन्य सरकारी संपत्तियों को संरक्षित करने में जुटी है, लेकिन यहां के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से गजब का खेल चल रहा है। जिसे जानकर आप हैरान हो जायेंगे कि जो खतौनी वर्ष 2023 में मात्र 15 बिस्वा की थी, वह लगभग तीन वर्षों में रबर की तरह बढ़कर , मौजूदा समय में वही नंबर राजस्व विभाग के अभिलेखों में 70 बिस्वा की हो गई है। इतना ही नहीं सरकारी अभिलेखों में दर्ज तालाब के एक खाते को, अलग अलग दो बार दर्ज कर दिया गया। जिसमें एक खाता तालाब का और दूसरा खाता एक व्यक्ति के नाम पर दर्ज कर खतौनी बना दिया गया। फिलहाल राजस्व के इस महा घोटाले की शिकायत कुछ ग्रामीणों ने जिले से लेकर सीएम से की है।

जानिए पूरा मामला
दरअसल मामला जिले के अकबरपुर यानी कि सदर तहसील क्षेत्र के हाजीपुर मरूई गांव का है। जहां पर राजस्व अभिलेखों में 808/2 यानी कि गाटा नंबर 398 तालाब खाते के नाम पर दर्ज है, जिसका मौजूदा रकबा 22 बीघा 5 बिस्वा से अधिक है। इसी तालाब खाते में कई वर्षों पहले कुछ ग्रामीणों को खेती के लिए तत्कालीन अधिकारियों ने पट्टा दिया था। जिसमें एक महिला भी शामिल है, जिसका नाम शांति देवी पुत्री नंद किशोर है। शांति देवी को 808/2 तालाब खाते की 22 बीघा जमीन में से 15 बिस्वा का पट्टा लगभग तीन दशक पहले खेती के लिए मिला था...इनके पट्टे का रिकॉर्ड राजस्व विभाग के अभिलेखों में भी दर्ज है।

15 बिस्वा खतौनी को 70 बिस्वा दर्ज करने का आरोप
आरोप है कि राजस्व विभाग के अभिलेखागार में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी कर राजस्व विभाग के अभिलेखागार से 27- 10- 2023 को जारी हुई गाटा संख्या 808/2 के 1359 फसली की नकल और खसरे की नकल में इसका रकबा 15 बिस्वा का था लेकिन वर्ष 2021/22 में जैसे ही इसी तालाब से रिंग रोड का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो पट्टाधारक शांति देवी पुत्री नंद किशोर और भू माफियाओं ने अभिलेखागार / राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से साठ गांठ करके शांति देवी की 15 बिस्वा खतौनी को सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर उसे 70 बिस्वा बना दिया गया और 1359 फसली के इसी रिकॉर्ड के आधार पर गाटा संख्या 808 /2 यानी कि 398 में शांति देवी पुत्री नंद किशोर की मौजूदा समय में खतौनी 70 बिस्वा दर्ज हो गई मतलब वर्ष 2023 में शांति देवी की जो खतौनी मात्र 15 बिस्वा की थी वो दो वर्ष बाद यानी कि मौजूदा समय में अब 70 बिस्वा की हो गई है इस जमीन को सबसे पहले शांति देवी ने राम लखन को बेंच दिया। राम लखन के बाद ये जमीन उनके दोनों लड़कों के नाम दर्ज हो गई...इसी तरह एक के बाद एक होते हुए मौजूदा समय में चंद्रिका प्रसाद, शुभावती देवी, अमित, अतुल, रजनी देवी और वीरेंद्र कुमार के नाम पर दर्ज हो गई।

आखिर 15 बिस्वा को 70 बिस्वा बनाने के पीछे का मकसद क्या था ?
वर्ष 2021/22 में जिला मुख्यालय पर कस्बे के बाहर एक रिंग रोड की शासन से अनुमति मिल गई। इस रिंग रोड का निर्माण अकबरपुर - टांडा संपर्क मार्ग कटरिया याकूबपुर बाग से अकबरपुर - बसखारी मार्ग तक बनना है। मौजूदा समय में इस परियोजना का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है। रिंग रोड का निर्माण कार्य शुरू होते ही। तालाब खाते से पट्टे में मिली जमीन के मालिको की मानो लॉटरी लग गई। पट्टाधारक किसान पट्टे की जमीन के मुआवजे के लिए क्षेत्रीय लेखपाल सहित अन्य विभागीय अधिकारियों की चौखट पर गणेश परिक्रमा शुरू कर दिए।
रिंग रोड के निर्माण से जमीन की कीमत बढ़ी
राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर रिंग रोड का निर्माण कार्य करवा रही संस्था पीडब्ल्यूडी ने गाटा नम्बर 398 ( पहले का गाटा नम्बर 808 ) में किसी भी पट्टाधारक किसान को मुवाबजा नहीं दिया ...सरकारी मुआवजा न मिलने की स्थित में पट्टाधारक किसानों से भू माफियाओं ने साठगांठ शुरू कर दिया...और उनकी जमीनों को सस्ते दामों में खरीद लिया ....भू माफियाओं ने क्षेत्रीय राजस्व कर्मी से साठ गांठ करके अपने जमीन का अंश रिंग रोड के किनारे करवा लिया.…और अब वही भू माफिया पट्टाधारकों की जमीन अपने नाम और अपने चहेतों के नाम पर खरीद कर उसे प्लाटिंग कर लगभग 18 लाख रुपए प्रति बिस्वा की दर से बेंच रहे है।
अभिलेखागार के रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप
दूसरा मामला इस तालाब नम्बर 398 ( 808 ) का यह है कि राजस्व विभाग के अभिलेखागार के रिकॉर्ड में 41 की नकल में इस नम्बर को जिसका रकबा 5 बिस्वा का है उसे तालाब खाते का बताया गया है।लेकिन जब मैनुअल खतौनी से खतौनी कंप्यूटरीकृत होना शुरू हुआ तो उसी दौरान ...खतौनी की फीडिंग में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों की साठ गांठ से इसी नम्बर की दो अलग अलग खतौनी बना दी गई...जिसमें 398 ख को मोहम्मद अमीन, रशीद अहमद सहित लोगों के नाम पर दर्ज कर दिया... और दूसरे 398 ख. को तालाब खाते में दर्ज कर दिया....398 ख और 398 ख. दोनों का क्षेत्रफल एक ही है.हेराफेरी का ये पूरा खेल राजस्व अभिलेखों के अलग अलग सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है....
भू माफिया और राजस्व विभाग के कर्मचारियों पर गंभीर अरोप
यह मामला उस समय सामने आया जब रिंग रोड का निर्माण शुरू हुआ ....398 ( 808 ) के अगल बगल के खातेदारों ने अपने जमीन की पैमाईश के लिए क्षेत्रीय लेखपाल के पास पहुंचे....लेखपाल ने पैमाईश की और तालाब खाते की जमीन पर पूर्व में मिले पट्टे के आधार पर बनी वर्तमान खतौनी धारकों को अगल बगल के खतौनी धारकों के सामने लाकर बैठा दिया....जिसमें से कुछ पात्र काश्तकारों ने तालाब की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे की अलग अलग शिकायत सदर एसडीएम और डीएम से की...ग्रामीण किसानों ने आरोप लगाया है कि यह बहुत बड़ा तालाब हुआ करता था, जिसको भू माफिया, राजस्व विभाग के कर्मचारियों से मिलीभगत करके कब्जा कर रहे है ...क्योंकि यहां अब रिंग रोड बन रहा है ...और यहां के जमीनों की कीमत आसमान छू रही है....फिलहाल पीड़ित किसानों ने इसकी एक संयुक्त शिकायत सीएम योगी से लिखित रूप से की है....और जांच कर तालाब से अवैध कब्जे दारों को हटाने की मांग की है।
जिला अधिकारी ने जांच के दिए आदेश
वही जब इस हेराफेरी के मामले पर जिला अधिकारी अनुपम शुक्ला से सवाल किया गया तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हिंगलाल तिवारी केस की रूलिंग का हवाला देते हुए साफ कहा कि तालाब की जमीन पर किसी भी प्रकार का कब्जा नहीं किया जा सकता है...यदि ऐसा है तो हम इसकी जांच कराएंगे ...और कार्यवाही करेंगे....फिलहाल इस समय जिलाधिकारी के निर्देश के बाद जांच जारी है...और देखने वाली बात यह होंगी कि आने वाले समय में जांच की आंच कहा तक पहुंचती है...और इस जमीन घोटाले से जुड़े सभी आरोपियों पर क्या कार्यवाही होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा?