निठारी कांड में कोली और पंढेर बरी: फैसला सुनते ही फफक कर रोए हर्ष के पिता, खूनी कोठी में फेंके ईंट-पत्थर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Oct, 2023 04:41 PM

koli and pandher acquitted in nithari case harsh s father

देश और दुनिया को झकझोर देने वाला नोएडा का बहुचर्चित निठारी कांड के 18 साल बाद भी 18 मासूमों और एक महिला को इंसाफ नहीं मिल सका। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबी...

नोएडा: देश और दुनिया को झकझोर देने वाला नोएडा का बहुचर्चित निठारी कांड के 18 साल बाद भी 18 मासूमों और एक महिला को इंसाफ नहीं मिल सका। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने कहा, पुलिस दोनों के खिलाफ आरोपी साबित करने में विफल रही। ऐसे में अपने बेटे हर्ष को खोने वाले पीड़ित राम किशन ने निर्णय आने के बाद सेक्टर- 31, डी-पांच पहुंचकर पत्थर फेंक कर नाराजगी व्यक्त की है।
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रामकृष्ण का साढ़े तीन साल का बेटा हर्ष 2006 में घर के बाहर से गायब हुआ था। फैसला आने पर वह मौके पर रोने लगे। इसके साथ जांच एजेंसी पर भी सवाल खड़ा किया है। इसी दौरान अपने बेटे मैक्स को खोने वाले अशोक कहते हैं कि हम गरीब हैं। अभी तक न्याय नहीं हुआ है। वहीं, पप्पू ने भी जांच एजेंसी पर सवाल खड़ा किया है। उनकी बेटी की भी हत्या कर दी गई थी।

'बिटिया ज्योति के गए हुए 18 वसंत बीत गए हैं, उसका क्रिया कर्म भी नहीं कर पाया हूं। एक आस थी न्याय की, लेकिन बिटिया के दोषियों को अभी तक कोई सजा नहीं मिली है। निठारी कांड में न्यायालय के निर्णय के बाद मन कचोट रहा है। आखिर कौन दोषी है?' यह कहना है उन्नाव बांगर मऊ के रहने वाले झब्बू लाल का। उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर 2006 को मनिंदर सिंह पंधेर और नौकर सुरेंद्र कोली के गिरफ्तार होने के करीब डेढ़ वर्ष पहले बेटी लापता हुई थी, जो पंधेर के कोठी के पास पीको कराने गई थी। करीब आधे घंटे तक बेटी के लौट के नहीं आने पर मौके पर जाकर देखा तो बेटी का पता नहीं चला। सुरेंद्र कोली कोठी के सामने खड़ा था। उसने बताया कि उसकी बेटी नहीं आई है। पर उसके बाद से आज तक बेटी की तलाश ही हो रही है।

निठारी कांड और डी-5 कोठी का कनेक्शन
नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी की D-5 कोठी मोनिंदर सिंह पंधेर की थी और वह वहीं रहता था। मोनिंदर मूल रूप से पंजाब का रहने वाला है, वर्ष 2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी। 3 साल उसका परिवार भी इस कोठी में रहा था। इसके बाद पंजाब शिफ्ट हो गया। मोनिंदर ने घर पर अल्मोड़ा (उत्तराखंड) निवासी सुरेंद्र कोली को नौकर रखा था। धीरे-धीरे इस इलाके से कई बच्चे व बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं। एक कॉल गर्ल भी लापता हो गई। अब नोएडा पुलिस की दो टीमें थीं। एक टीम बच्चों के लापता होने पर अलग-अलग गैंग पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेश में काम कर रही थी।

वहीं, दूसरी तरफ एक टीम कॉल गर्ल की तलाश में लगी हुई थी। फिर इस केस में पुलिस की टीम पहली बार डी-5 कोठी तक पहुंची थी। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को कोठी के आगे नाले और पीछे खाली जगह में कई कंकाल मिले थे। इसके बाद दोनों जांच एक ट्रैक पर शुरू हो गई थी। सीबीआई ने इन हत्याओं में मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था। कई केस में हत्या की सजा भी सीबीआई कोर्ट से सुनाई गई।

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