जस्टिस वर्मा कैश कांड में बनी जांच कमेटी, लोकसभा स्पीकर को देगी रिपोर्ट

Edited By Ramkesh,Updated: 12 Aug, 2025 06:08 PM

investigation committee formed in justice verma cash case

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पद से हटाने के कई सांसदों के एक प्रस्ताव को मंगलवार को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की और...

प्रयागराज: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पद से हटाने के कई सांसदों के एक प्रस्ताव को मंगलवार को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की और इसके साथ ही न्यायमूर्ति वर्मा पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई।

न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समिति के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, इसलिए उन्हें न्यायाधीश के पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। बिरला ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी वी आचार्य शामिल होंगे।

समिति यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंपेगी
उन्होंने कहा, ‘‘समिति यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक प्रस्ताव (न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का) लंबित रहेगा।'' इससे पहले उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्हें गत 31 जुलाई को भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और सदन में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुल 146 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव की सूचना प्राप्त हुई है, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा 3 के साथ संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के साथ पठित अनुच्छेदों 217 और 218 के अंतर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को एक समावेदन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है।

न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से जली हुई मिली थी नकदी
लोकसभा अध्यक्ष ने गत 15 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से जली हुई नकदी मिलने की घटना का विवरण भी पढ़ा। न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर जले हुए नोट मिलने के बाद उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने प्रासंगिक कानूनों और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए पाया कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।

ईमानदारी न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास की नींव है
बिरला ने कहा कि बेदाग चरित्र और वित्तीय एवं बौद्धिक ईमानदारी न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास की नींव है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है और न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 की धारा 3 (2) के अनुरूप न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले से जुड़े तथ्य गंभीर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। बिरला ने कहा, ‘‘संसद को इस मुद्दे पर एक स्वर में बोलना चाहिए और देश की जनता को भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने का अपना संदेश भेजना चाहिए।'' इससे पहले, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मार्च में आरोपों की आंतरिक जांच शुरू की थी और तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन की समिति ने चार मई को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

न्यायमूर्ति वर्मा ने इस्तीफा देने से किया इनकार 
रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, न्यायमूर्ति खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफा देने या महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने को कहा। चूंकि न्यायमूर्ति वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, इसलिए तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने न्यायाधीश को हटाने के लिए रिपोर्ट और उस पर न्यायाधीश की प्रतिक्रिया राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी। पिछले सप्ताह, उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश खन्ना द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की सिफारिश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा गठित समिति में शामिल न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने बैंगलोर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है और 1987 में अधिवक्ता के रूप में उनका पंजीकरण हुआ था। 2009 में उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 2012 में वह स्थायी न्यायाधीश बने।


न्यायमूर्ति कुमार को 2021 में गुजरात उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और फरवरी 2023 में उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत किया गया। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले न्यायमूर्ति श्रीवास्तव मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। दिसंबर 2009 में उन्हें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और अक्टूबर 2021 में उनका राजस्थान स्थानांतरण हो गया। वहीं, 91 वर्षीय आचार्य एक अनुभवी विधिवेत्ता हैं जिनका छह दशक से अधिक का कॅरियर रहा है। वह 1989 से 2012 के बीच पांच बार कर्नाटक के महाधिवक्ता के पद पर रहे हैं। आचार्य तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष लोक अभियोजक थे।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!