Edited By Anil Kapoor,Updated: 12 Aug, 2025 02:37 PM

Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां मुबारकपुर थाना क्षेत्र में तैनात एक होमगार्ड निरंकार राम जो पुलिस विभाग में पिछले 24 साल से सेवा कर रहा था, असल में एक बड़ा अपराधी......
Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां मुबारकपुर थाना क्षेत्र में तैनात एक होमगार्ड निरंकार राम जो पुलिस विभाग में पिछले 24 साल से सेवा कर रहा था, असल में एक बड़ा अपराधी (गैंगस्टर) निकला।
कौन है निरंकार राम?
मिली जानकारी के मुताबिक, निरंकार राम की तैनाती 2001 में मुबारकपुर थाने पर होमगार्ड के रूप में हुई थी। उसने 2001 से 2002 तक जिला प्रशिक्षण केंद्र, आजमगढ़ में होमगार्ड की ट्रेनिंग ली थी और उसका चरित्र प्रमाण पत्र भी ठीक बताया गया था। लेकिन, सिर्फ दो साल बाद साल 2003 में उस पर पहला अपराध दर्ज हुआ और इसके बाद वह लगातार अपराध की दुनिया में लिप्त रहा।
इन गंभीर अपराधों में शामिल है निरंकार राम
निरंकार राम पर कुल 8 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें शामिल हैं:
- गंभीर अपराध जैसे हत्या की कोशिश, लूट, डकैती, रेप और पॉक्सो एक्ट के मामले
- गांजा और नशे की तस्करी (एनडीपीएस एक्ट)
- चोरी और धोखाधड़ी
उसका नाम आजमगढ़, मऊ और देवरिया जिलों के थानों में दर्ज मामलों में सामने आया है।
थाने में काम, वहीं दर्ज मुकदमे!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस मुबारकपुर थाने में वह तैनात था, वहीं पर 6 मुकदमे उसी के खिलाफ दर्ज हैं। इसके बावजूद, थाना प्रभारी शशि मौली पांडेय ने उसे पुलिस मालखाने की सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी थी, जो बेहद गंभीर लापरवाही मानी जा रही है।
पहला केस कैसे दर्ज हुआ?
2003 में उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत पहला मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने आरोप लगाया था कि उसके पास से डायजापाम की गोलियां और नशे वाले लड्डू बरामद किए गए थे। वह ये लड्डू यात्रियों को खिलाकर उनका सामान चुरा लेता था।
बाकी प्रमुख केस इस तरह हैं:
2005, 2010, 2011 – एनडीपीएस एक्ट और 110G के तहत मामले
- 2014 – रेप और पॉक्सो एक्ट
- 2009 (देवरिया) – यात्री का बैग गायब कर धोखाधड़ी
- 2017 (मऊ जीआरपी) – चोरी और सामान बरामदगी का केस
इसमें निरंकार के साथ तीन और अपराधियों के नाम भी सामने आए थे।
प्रशासन और पुलिस पर उठे सवाल
निरंकार राम जैसे अपराधी का पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था में शामिल होना, बहुत ही चिंताजनक है। इससे ना सिर्फ पुलिस की साख को नुकसान पहुंचा है, बल्कि आम जनता में भी भय और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया है। वहीं इस पूरे मामले ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद वह 24 साल तक कैसे पुलिस विभाग में सेवा करता रहा और किसी को शक भी क्यों नहीं हुआ?