Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 05 Jun, 2020 09:04 PM
इंसान की पहचान इंसानियत से ही होती है यही मर जाए तो इंसान कैसा। केरल के मलप्पुरम से विगत दिनों ऐसी ही दर्दनाक घटना घटी जहां एक गर्भवती हथिनी को फल में पटाखे डालकर खिलाया गया। तीन दिनों तक तड़पने के बाद वह मर गई। इस घटना ने देश भर को झंझोर...
आगराः इंसान की पहचान इंसानियत से ही होती है यही मर जाए तो इंसान कैसा। केरल के मलप्पुरम से विगत दिनों ऐसी ही दर्दनाक घटना घटी जहां एक गर्भवती हथिनी को फल में पटाखे डालकर खिलाया गया। तीन दिनों तक तड़पने के बाद वह मर गई। इस घटना ने देश भर को झंझोर कर रख दिया। लोगों ने सोशल मीडिया से लेकर, सेंड आर्ट, व तमाम तरह से अपना आक्रोश जाहिर कर आरोपियों के कड़ा से कड़ा सजा देने की मांग किए। वहीं उत्तर प्रदेश आगरा की संस्था वाइल्ड लाइफ ने आरोपियों के खिलाफ सबूत देने या पहचान बताने वालों को एक लाख देने का ऐलान किया है।
संस्था की प्रेस अफसर अरिनित शांडिल्य ने कहा कि हथिनी के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने केरल के वन विभाग से अपील की है। वहीं संस्था संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण का कहना है कि भारत में हाथी संरक्षित जानवर है। उनकी इस तरह हत्या करना अक्षम्य अपराध है। ऐसे हत्यारों को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भालू, हाथी, हिरण और अन्य जानवरों को इस तरह क्षति पहुंचाना पशु अधिनियम 1972 कानून के तहत गैर जमानती अपराध है और इसमें सात साल की कैद का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि टाडा कानून के तहत विस्फोटक पदार्थ और हथियार भारत में पूरी तरह निषिद्ध है। जिस तरह 15 साल की मादा हथिनी को उसके पहली बार गर्भवती होने के बाद उसे विस्फोटक खिलाया गया और उससे उसका मुंह जबड़ा आदि क्षत विक्षत हो गया और वो कई दिन तक घूमती रही पर दर्द और चोट के चलते कुछ खा भी नही पाई। यह एक संवेदनहीन कार्य था।