देश के 8 हजार स्थानों की मिट्टी और जल का होगा राम मंदिर भूमि पूजन में उपयोग

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Aug, 2020 05:05 PM

soil and water from 8 thousand places of the country will be used

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में देशभर के करीब आठ हजार पवित्र स्थलों से मिट्टी, जल और रजकण का उपयोग किया जाएगा। कार्यक्रम से जुड़े लोगों का कहना है कि सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए देशभर से मिट्टी एवं जल...

नई दिल्लीः अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में देशभर के करीब आठ हजार पवित्र स्थलों से मिट्टी, जल और रजकण का उपयोग किया जाएगा। कार्यक्रम से जुड़े लोगों का कहना है कि सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए देशभर से मिट्टी एवं जल का संग्रह किया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा, ‘‘ देशभर से अयोध्या पहुंचने वाली मिट्टी एवं जल का आंकड़ा अभी तक जोड़ा नहीं गया है लेकिन ऐसा अनुमान है कि सात-आठ हजार स्थानों से मिट्टी, जल एवं रजकण पूजन के लिए अयोध्या पहुंचेगा। दो दिन पहले तक करीब 3,000 स्थानों से मिट्टी और जल वहां पहुंच चुका है।'' 

उन्होंने कहा कि मिट्टी और जल एकत्र करने का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता को मजबूत बनाने का अनूठा उदाहरण है। चौपाल ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए झारखंड में ‘सरना स्थल' आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। जब हम उस स्थान की मिट्टी एकत्र करने गए तो दलित और आदिवासी समाज में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल देखने को मिला। उनका कहना था कि राम और सीता तो हमारे हैं, तभी हमारी माता शबरी की कुटिया में पधारे और जूठे बेर खाए।'' वहीं, विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, ‘‘भगवान राम ने सामाजिक समरसता और सशक्तीकरण का संदेश स्वयं के जीवन से दिया। इसलिए उनके मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में देशभर की पवित्र नदियों के जल और तीर्थ स्थानों की मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है।'' 

परांडे ने कहा कि भगवान राम द्वारा अहिल्या का उद्धार, शबरी और निषादराज से प्रेम एवं मित्रता सामाजिक समरसता के अनुपम उदाहरण हैं। विहिप सूत्रों ने बताया कि इसी श्रृंखला में काशी स्थित संत रविदास जी की जन्मस्थली, बिहार के सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम, महाराष्ट्र में विदर्भ के गोंदिया जिला के कचारगड, झारखंड के रामरेखाधाम, मध्य प्रदेश के टंट्या भील की पुण्यभूमि से जुड़े स्थलों, पटना के श्रीहरमंदिर साहिब, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जन्मस्थान महू, दिल्ली के जैन मंदिर और वाल्मीकि मंदिर जैसे स्थलों से मिट्टी एवं पवित्र जल एकत्र किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के कालीघाट, दक्षिणेश्वर, गंगासागर और कूचबिहार के मदन मोहन जैसे मंदिरों की पवित्र मिट्टी के साथ ही गंगाासागर, भागीरथी, त्रिवेणी नदियों के संगम से जल अयोध्या भेजा जा रहा है। प्रयागराज के पावन संगम के जल एवं मिट्टी का भी भूमि पूजन में उपयोग किया जाएगा । भूमि पूजन से जुड़े लोगों ने बताया कि बिहार की फल्गु नदी से बालू और रेत भी अयोध्या भेजा जा रहा है। गया धाम स्थित यह नदी पवित्र पितृ-तीर्थ है।

इसके अलावा पावापुरी स्थित जलमंदिर, कमल सरोवर, प्रचीन पुष्करणी तालाब, हिलसा स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य से जुड़े भोरा तालाब, राजीगर की पंच वादियों की मिट्टी और जल भी भेजा जा रहा है। विहिप पदाधिकारियों ने कहा कि भूमि पूजन के लिए मंदराचल पर्वत की मिट्टी भी भेजी गई है। पौराणिक मान्यता है कि इसी पर्वत से समुद्र मंथन किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों से भी मिट्टी, जल एवं रजकण भेजने का सिलसिला जारी है।

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