सरकार के संरक्षण में बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में जहर घोला जा रहा है: जमीयत

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 May, 2022 05:55 PM

jamiat says poison is being mixed in the minds of the majority

देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने मुल्क में कथित तौर पर बढ़ती साम्प्रदायिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि सभाओं में अल्पसख्यकों के खिलाफ कटुता फैलाने वाली बातें की जाती...

देवबंद: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने मुल्क में कथित तौर पर बढ़ती साम्प्रदायिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि सभाओं में अल्पसख्यकों के खिलाफ कटुता फैलाने वाली बातें की जाती हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। संगठन ने केंद्र सरकार पर सदियों पुराने भाईचारे को बदलने का आरोप भी लगाया। उसने यह आरोप भी लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के ‘‘संरक्षण में ज़हर घोला जा रहा है''। जमीयत ने दावा किया कि ‘छद्म राष्ट्रवाद' के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है जो ना सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद ख़़तरनाक है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की मज्लिसे मुंतज़िमा (प्रबंधक समिति) के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें ‘केंद्र सरकार से उन तत्वों पर और ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने' का आग्रह किया गया है जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खिलाफ़ हैं और इस्लाम तथा मुसलमानों के प्रति कटुता फैलाती हैं। अधिवेशन में ‘इस्लामोफ़ोबिया' को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि ‘इस्लामोफ़ोबिया' सिर्फ धर्म के नाम पर शत्रुता ही नहीं, बल्कि इस्लाम के खिलाफ़ भय और नफ़रत को दिल व दिमाग़ पर हावी करने की मुहिम है। इसमें आरोप लगाया गया है, "इसके कारण आज हमारे देश को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक इंतहापसंदी (अतिवाद) का सामना करना पड़ रहा है।" 

एक अन्य प्रस्ताव में दावा किया गया है, ‘‘देश धार्मिक बैर और नफ़रत की आग में जल रहा है। चाहे वह किसी का पहनावा हो, खान-पान हो, आस्था हो, किसी का त्योहार हो, बोली (भाषा) हो या रोज़गार, देशवासियों को एक दूसरे के खि़लाफ़ उकसाने और खड़ा करने के दुष्प्रयास हो रहे हैं।' प्रस्ताव के मुताबिक, सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सांप्रदायिकता की यह ‘काली आंधी' मौजूदा सत्ता दल व सरकारों के संरक्षण में चल रही है जिसने बहुसंख्यक वर्ग के दिमागों में ज़हर भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। इसमें आरोप लगाया है, "आज देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है जो देश की सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं।" इसमें कहा गया है कि मुस्लिमों, पुराने ज़माने के मुस्लिम शासकों और इस्लामी सभ्यता व संस्कृति के खि़लाफ़ भद्दे और निराधार आरोपों को ज़ोरों से फैलाया जा रहा है।

प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है, ‘‘सत्ता में बैठे लोग उनके खि़लाफ़ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उन्हें आज़ाद छोड़ कर और उनका पक्ष लेकर उनके हौसले बढ़ा रहे हैं।'' प्रस्ताव में कहा गया है, ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस बात को लेकर चिंतित है कि खुलेआम भरी सभाओं में मुसलमानों और इस्लाम के खि़लाफ़ शत्रुता के इस प्रचार से पूरी दुनिया में हमारे प्रिय देश की बदनामी हो रही है'' और इससे देश विरोधी तत्वों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का मौक़ा मिल रहा है।

इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने के लिए किसी एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खि़लाफ़ भड़काना और बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खि़लाफ़ उत्तेजित करना, देश के साथ वफ़ादारी व भलाई नहीं है, बल्कि खुली दुश्मनी है।' जमीयत ने हिंसा भड़काने वालों को सज़ा दिलाने के लिए एक अलग कानून बनाने और सभी कमज़ोर वर्गां विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक वर्ग को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के दुष्प्रयासों पर रोक लगाने की मांग भी की। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!