कोरोना संकटः "वाराणसी को मिल पा रहा जरूरत का केवल 70% ऑक्सीजन तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी भारी कमी

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 19 Apr, 2021 09:32 AM

corona crisis varanasi is getting only 70 of the oxygen it needs

कोरोना महामारी में संक्रमितों की आई बाढ़ से सारी व्यवस्था चरमरा चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जब 99% मरीजों को जब ऑक्सीजन की जरूरत

वाराणसीः  कोरोना महामारी में संक्रमितों की आई बाढ़ से सारी व्यवस्था चरमरा चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जब 99% मरीजों को जब ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है तो सिर्फ 70% को ही ऑक्सीजन मिल रहा है। इतना ही नहीं जीवन रक्षक दवा रेमडेसिवीर भी जरूरत की आधी यानी रोजाना 600 वायल की जरूरत है तो 300-350 वायल मिल पा रहा है। ये सारी जानकारी जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने दी है।

कोरोना की दूसरी लहर में सामने आ रहे 7-8 गुना मामले 
जिलाधिकारी ने बताया कि जिस तरह से महामारी की सेकंड वेब आई है। जिसके चलते सभी प्रदेशों में एक साथ संसाधनों की रिक्वायरमेंट बढ़ गई है। जिसके चलते जिस प्रदेश में संसाधन है वह वही प्रयोग कर लिए जा रहे हैं। वाराणसी में भी कोरोना के सेकंड वेब में 7-8 गुना ज्यादा मामले निकल कर आ रहे हैं। यह चुनौती झेली जा रही है कि व्यवस्था लोकल रिसोर्सेज से ही पूरे किए जाए। जितनी ऑक्सीजन वराणसी में जनरेट हो रही है या आसपास बन रही है वही वाराणसी में काम आ सकती है। ऑक्सीजन जेनरेशन की व्यवस्था फ्यूचर के लिए प्लान कर ली गई है, लेकिन इसका फायदा अगले एक से 2 हफ्तों बाद ही मिल पाएगा। आसपास के जनपदों से भी एक एक सिलेंडर की सप्लाई ली जा रही है।
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शुरू हुई 200 से 300 ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई
उन्होंने बताया कि चंदौली के प्लांट से वाराणसी में सप्लाई आती है। नए प्लांट मिर्जापुर और दूसरे प्रदेश के रीवा जैसी जगहों से भी 200 से 300 ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई चालू कराई गई है। सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन जनरेशन का है। अस्पतालों में बेड तो बढ़ाए जा सकते हैं, लेकिन अब बिना ऑक्सीजन वाले बेड प्रयोग ही नहीं हो रहे हैं। डीएम ने बताया कि बेड की कोई कमी नहीं है। बेड हमारे पास दो हजार से ज्यादा है। बिना ऑक्सीजन वाले बेड हमारे काम के नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि 99% मरीजों को ऑक्सीजन वाले बेड की जरूरत पड़ रही है। ऑक्सीजन जनरेशन के सीमित संख्या होने की वजह से सारी चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं, लेकिन वाराणसी में ऑक्सीजन जनरेशन का कोई प्लांट नहीं है। इसलिए हम आसपास के जनपदों पर ही निर्भर हैं।

वाराणसी में प्रतिदिन सामने आते हैं 3250 ऑक्सीजन सिलेंडर
डीएम ने आगे बताया कि वाराणसी में प्रतिदिन 3250 ऑक्सीजन सिलेंडर आते हैं। यहां से लेकर 24 घंटों में अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचा दिया जाता है। इससे ज्यादा सिलेंडर के सोर्स लोकेट करने की कोशिश की जा रही है। आसपास के मंडलों और यूपी के नोडल सेल के माध्यम से भी पता लगाया जा रहा है। यूपी के बड़े शहरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत बढ़ चुकी है। मौजूदा समय में वाराणसी में जरूरत की 70 परसेंट ही ऑक्सीजन की पूर्ति हो पा रही है। तीस परसेंट की जरूरत है।

संभव ही नहीं रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी
वाराणसी के जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी संभव ही नहीं है। सारे सप्लायर्स को बोल दिया गया है कि जहां पर कोविड के मरीज एडमिट है सिर्फ वहीं पर वह रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई करें। रेमडेसिवीर ओवर द काउंटर उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसकी कालाबाजारी संभव नहीं है। अगर फिर भी कालाबाजारी हो रही है तो उनकी मोबाइल रिकॉर्डिंग और उनकी जानकारी दें। रेमडेसिवीर इंजेक्शन की आपूर्ति प्रशासन के माध्यम से हर दिन 3 दिन पर होती है और प्राइवेट कंपनियों की प्रतिदिन डेढ़ सौ से 200 वायल भेजने शुरू कर दी गई है। सोमवार को तीन चार कंपनी की सप्लाई और आएगी।

स्ट्रेन में 99 परसेंट मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत
जिलाधिकारी ने आगे बताया कि वाराणसी में 1700 कोरोना मरीजों के लिए बेड उपलब्ध है। जिसमें 12 सौ बेड प्रयोग हो रहे हैं, जबकि अन्य प्रयोग नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि उनके साथ ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जैसे ही ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ेगी वैसे बेड का प्रयोग भी बढ़ जाएगा। अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है, बल्कि ऑक्सीजन की जरूरत है। क्योंकि इस बार के स्ट्रेन में 99 परसेंट मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।

 

 

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