बुंदेलखंड में सूखे और कर्ज से 5 दिन में 5 किसानों की मौत, सरकार ने साधी चुप्पी

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 18 Jul, 2019 01:53 PM

5 farmers killed in bundelkhand drought and loans in 5 days

बुंदेलखंड महाराष्ट्र का विदर्भ बनने की ओर अग्रसर है। बांदा में पिछले 5 दिनों में 5 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। बैंक ने जिले में 8 हजार किसानों को आरसी जारी की है। 1 लाख 10 हजार किसान बैंकों का कर्ज लिए हुए है। सूखा और कर्ज ने किसान की कमर तोड़ दी...

बांदाः बुंदेलखंड महाराष्ट्र का विदर्भ बनने की ओर अग्रसर है। बांदा में पिछले 5 दिनों में 5 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। बैंक ने जिले में 8 हजार किसानों को आरसी जारी की है। 1 लाख 10 हजार किसान बैंकों का कर्ज लिए हुए है। सूखा और कर्ज ने किसान की कमर तोड़ दी है। लिहाजा यहां का किसान आत्महत्या करने को मजबूर है, लेकिन इस भयावह स्थिति से निपटने का प्रशासन के पास कोई प्लान नहीं है। सरकार का अभी तक इस ओर ध्यान ही नहीं है। लिहाजा अन्नदाता काल के गाल में समा रहा है। किसान की स्थिति भयावह होती जा रही है पर जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।
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1. कनवारा में राम किशोर ने कर्ज से परेशान होकर लगाई फांसी
बांदा के कनवारा में राम किशोर नाम के किसान ने बबूल के पेढ़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। राम किशोर के ऊपर बैंक व साहूकारों का 5 लाख का कर्ज था।
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बैंक ने नोटिस भी भेजी थी।
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2. नरैनी तहसील के लाल ने कर्ज ना चुका पाने पर की आत्महत्या
इसी तरह नरैनी तहसील के मुंगौरा गांव निवासी लाला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। परिजनों ने बताया कि पत्नी की बीमारी के लिए 2 लाख रुपए साहूकारों से कर्ज लिया था। साथ मे 80 हजार बैंक का कर्ज था। चुका न पाने पर आत्महत्या कर ली।
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3. मुसिवा गांव के छोटेलाल ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
एक अन्य मामले में कमासिन थाना अंतर्गत मुसिवा गांव के रहने वाले छोटेलाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके ऊपर 50 हजार क्रेडिट कार्ड का व तीस हजार गांव वालों का कर्ज था।
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4. कोतवाली अंतर्गत रहने वाले धीरज ने ट्रेन से कटकर दी जान
वहीं शहर कोतवाली अंतर्गत रहने वाले धीरज साहू ने ट्रेन से कट कर जान दे दी। धीरज के ऊपर 80 हजार बैंक का कर्ज था।
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5. महोखर गांव में बेटी को पढ़ा न पाने पर महेश ने खुद को लगाई आग
सबसे दर्दनाक हादसा बांदा से महज 3 किलोमीटर दूर महोखर गांव का है, जहां महेश शुक्ला नाम के किसान ने कर्ज न चुका पाने और बेटी को पढ़ा न पाने की कुंठा में आग लगाकर आत्महत्या कर ली। बड़ी बेटी की शादी में साहूकारों से कर्ज लिया था पर चुका नहीं पाया। बैंक का भी कर्ज़ लगातार बढ़ रहा था। छोटी बेटी संध्या शुक्ला डॉक्टर बनना चाहती थी। पर बेटी को पढ़ाने का वादा पूरा न कर पाने व लेनदारों के तकादे से परेशान महेश ने मिट्टी का तेल डाल कर खुद को आग लगा ली, अब उसके पीछे पूरा परिवार अनाथ होकर रह गया है।

पिछले 5 दिनों में 5 किसान कर चुके हैं आत्महत्या
बता दें कि पिछले पांच दिनों में पांच किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अगर पूरे महिने का आंकड़ा निकाला जाए तो एक दर्जन से ज्यादा किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण बैंकों द्वारा जारी आरसी है। अकेले आर्यावर्त बैंक ने जनपद के आठ हजार किसानों को कर्ज वापसी का नोटिस थमाया है। यहां का किसान पहले से ही बेटी की शादी , बीमारी व खेती के लिए लिए गए कर्ज़ से बेहाल था। उसपर बैंकों द्वारा जारी नोटिस ने आग में घी का काम किया है। जनपद में एक लाख दस हजार किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए कर्ज़ लिए हुए है। जिसमे 70 हजार किसान कर्ज न दे पाने की हालत में है।

प्रशासनिक अधिकारियों ने साधी चुप्पी
बात करें प्रशासनिक रवैये की तो वो चौंका देने वाला है। किसानों की आत्महत्या पर आला अधिकारियों से बात की जाती है तो चुप्पी साध कर निकल जाते हैं। बांदा के डीएम हीरालाल तो सामने ही नहीं आए, वहीं एडीएम संतोष सिंह कैमरे में बोलने को तैयार ही नहीं है।
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सूखा और कर्ज ने किसान की कमर तोड़ी, सुनने वाला कोई नहीं
बुंदेलखंड का किसान लगातार सूखे की मार झेल रहा है। बारिश का प्रतिशत लगातार घट रहा है। सिंचाई के साधन नहीं है। तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिला पा रहा है। चारो तरफ से किसान के ऊपर मार पड़ रही है। बुंदेलखंड के किसान की कमर टूट चुकी है। आत्महत्याओं का सिलसिला जारी हुआ है अब यह कहा जा कर रुकेगा यह प्रशासन और सरकार को तय करना है लेकिन जिम्मेदार मूक दर्शक बने हुए है। परिणाम स्वरूप अन्नदाता काल के गाल में समा रहा है।

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