Edited By Purnima Singh,Updated: 27 Dec, 2025 01:54 PM

ओडिशा के 18 उभरते स्कूली पहलवानों के साथ हुई घटना ने खेल व्यवस्था और प्रशासनिक तालमेल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया में आयोजित 69वीं राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर लौट रहे इन खिलाड़ियों को ट्रेन में सीट या...
Viral Video : एक ओर देश में खेलों को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों को सम्मान देने की बातें की जाती हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश करती है। ओडिशा के 18 उभरते स्कूली पहलवानों के साथ हुई घटना ने खेल व्यवस्था और प्रशासनिक तालमेल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सीट नहीं मिलने पर टॉयलेट के पास सफर करने को मजबूर
उत्तर प्रदेश के बलिया में आयोजित 69वीं राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर लौट रहे इन खिलाड़ियों को ट्रेन में सीट या बर्थ नहीं मिली, जिससे उन्हें मजबूरन शौचालय और गेट के पास फर्श पर बैठकर लंबा सफर तय करना पड़ा।
वापसी की यात्रा बनी परेशानी की वजह
ओडिशा के अलग-अलग स्कूलों से चयनित 18 पहलवान और उनके साथ 4 शिक्षक, अंडर-17 बालक-बालिका फ्री-स्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गए थे। 20 नवंबर को भुवनेश्वर से बलिया जाते समय सभी के लिए 3-टियर AC में टिकट बुक थे, लेकिन वापसी के दौरान हालात पूरी तरह बदल गए।
रेलवे और खेल विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण वापसी के टिकट कंफर्म नहीं हो पाए और किसी को भी बर्थ आवंटित नहीं की गई। नतीजतन, खिलाड़ियों को नंदनकानन एक्सप्रेस में बेहद असुविधाजनक हालात में सफर करना पड़ा।
वायरल वीडियो ने खोली सिस्टम की पोल
इस पूरे मामले की जानकारी तब सामने आई जब ट्रेन में बैठे खिलाड़ियों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले बच्चे टॉयलेट और ट्रेन के दरवाजे के पास फर्श पर बैठे दिखाई दे रहे हैं। वीडियो के सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया।
शिक्षा विभाग सख्त, रिपोर्ट तलब
मामला तूल पकड़ने के बाद ओडिशा विद्यालय एवं जन शिक्षा विभाग ने तुरंत संज्ञान लेते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। विभाग यह जानने की कोशिश कर रहा है कि
*AC टिकट होने के बावजूद बर्थ क्यों नहीं मिली?
*बच्चों के लिए वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
*जिम्मेदारी किसकी थी?
विभाग की सफाई: TTE से मांगी गई मदद
विवाद बढ़ने पर विभाग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आयोजन समिति से संपर्क के बावजूद टिकट कंफर्म नहीं हो सके। खिलाड़ियों का भविष्य प्रभावित न हो, इसलिए उन्हें प्रतियोगिता में भेजा गया। विभाग का कहना है कि ट्रेन में TTE से लगातार अनुरोध किया गया, जिसके बाद पश्चिम बंगाल के हिजली स्टेशन के पास जाकर 10 बर्थ उपलब्ध कराई गईं।
आगे के लिए बड़ा फैसला
इस तरह की स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग ने अब रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक करने का फैसला लिया है। विभाग ने बताया कि इस वर्ष अब तक ओडिशा के 385 खिलाड़ी राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए 19 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। यह घटना न सिर्फ खिलाड़ियों की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि खेल व्यवस्था में सुधार की तत्काल जरूरत की ओर भी इशारा करती है।