Edited By Imran,Updated: 16 Sep, 2024 12:08 PM
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक मंचों से भले ही स्वास्थ्य सुधार को लेकर बड़ी-बड़ी बाते की जाती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दरअसल, हरदोई से कुछ लोग अपने परिजन का इलाज कराने के लिए लखनऊ आए थे, लेकिन वह अलग-अलग अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक मंचों से भले ही स्वास्थ्य सुधार को लेकर बड़ी-बड़ी बाते की जाती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दरअसल, हरदोई से कुछ लोग अपने परिजन का इलाज कराने के लिए लखनऊ आए थे, लेकिन वह अलग-अलग अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे। हर जगह मरीज की फाइल तो बन रही थी लेकिन इलाज कहीं नहीं मिल रहा था।
हरदोई जिले से अपने चाचा का इलाज कराने आए युवक ने बताया कि मेरे चाचा को सिविल अस्पताल से मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया है। लेकिन यहां तो बोला जा रहा है कि अभी बेड खाली नहीं है। वहां से फिर मरीज को लेकर परीजन उल्टे पांव बलरामपुर अस्पताल में पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां से भी वापस लौटा दिया गया।
अब सवाल है कि आखिर लोग इलाज कराने के लिए कहा जाएं, क्या योगी सरकार में सरकारी अस्पताल की व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि किसी मरीज को इलाज नहीं मिल पा रहा है। राजधानी के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों से मरीज को लौटाया जा रहा है।