देश के विजन को ध्यान में रखकर होनी चाहिए छात्रों की पढ़ाई: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Edited By Ramkesh,Updated: 27 Aug, 2025 08:06 PM

students should study keeping in mind the vision of the country

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों की उपस्थिति और अनुसंधान पर दिया जोर-दरअसल झांसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को सीखने की दृष्टि और...

झांसी: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों की उपस्थिति और अनुसंधान पर दिया जोर--दरअसल झांसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को सीखने की दृष्टि और अनुशासन का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि छात्रों को यह सीखने की आवश्यकता है कि भाषण या मार्गदर्शन से क्या ग्रहण करना है और उसे जीवन में कैसे उतारना है।

देश के विज़न के अनुरूप तैयारी की अपील
राज्यपाल ने कहा कि छात्रों को पढ़ाई और तैयारी देश के विज़न को ध्यान में रखकर करनी चाहिए। उन्होंने पुस्तकालय और शोध कार्य को शिक्षा का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि यही प्रयास भारत को विश्व पटल पर शीर्ष स्थान दिला सकते हैं।

उपस्थिति पर चिंता, 75% अनिवार्य बताई
दीक्षांत समारोह में उन्होंने सबसे अधिक चिंता छात्रों की उपस्थिति को लेकर जताई। उन्होंने कहा कि छात्रों की कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए, अन्यथा उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस व्यवस्था को कड़ाई से लागू करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि आवश्यक हो तो सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और लैब अटेंडेंस पर निगरानी रखी जाए। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि छात्र पहले सेमेस्टर में तो नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहते हैं किंतु बाद के वर्षों में उनकी संख्या घटती जाती है। लगातार परीक्षाओं के दबाव के कारण छात्रों के पास पढ़ाई और शोध के लिए पर्याप्त समय भी नहीं बचता।

शिक्षकों की जिम्मेदारी और निगरानी
राज्यपाल ने कक्षाओं में शिक्षकों की उपस्थिति और समय पालन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अक्सर अध्यापक 45 मिनट पढ़ाने के बाद 15 मिनट का आराम कर लेते हैं या देर से आते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षकों की कक्षाओं में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यकता के अनुसार होनी चाहिए। "कितने अध्यापक चाहिए इसका पता होना चाहिए, लेकिन अभी कई नियुक्तियां आवश्यकता से अधिक की जाती हैं," उन्होंने स्पष्ट किया।

रिसर्च का वास्तविक लाभ जनता तक पहुँचे
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में किए जाने वाले शोध का वास्तविक लाभ समाज और जनता तक पहुँचाना बेहद जरूरी है। उन्होंने चेताया कि केवल शोध पूरा करके उसे फाइलों में बंद कर देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके आधार पर सुधारात्मक निर्णय लेने चाहिए। राज्यपाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि कई बार विश्वविद्यालयों में तीन-तीन साल तक शोध कार्य चलता है, लेकिन परिणाम का सही उपयोग नहीं होता। शोध निष्कर्ष केवल दस्तावेज़ बनकर रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि "शोध तभी सार्थक है जब उसके अनुसार सुधार और कार्रवाई हो।"

रिसर्च को उपयोगी बनाएं
आनंदीबेन पटेल ने अयोध्या का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ पर्यटन के साथ प्रदूषण भी बढ़ा, इस पर शोध कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को दी गई। लेकिन यह रिपोर्ट नगर निगम तक समय पर नहीं पहुँची। परिणामस्वरूप समस्या का समाधान नहीं हुआ और शोध का उद्देश्य अधूरा रह गया। राज्यपाल ने रिसर्च प्रोजेक्ट्स में फंडिंग एजेंसियों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लखनऊ में साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के अंतर्गत कई प्रोजेक्ट विश्वविद्यालयों द्वारा भेजे गए। लेकिन, प्रोजेक्ट चयन समिति ने बिना कारण बताए कई प्रस्ताव लौटा दिए। जब उनसे कारण पूछा गया तो कोई उत्तर नहीं मिला। उन्होंने इस प्रक्रिया में बदलाव की मांग करते हुए कहा कि फंडिंग एजेंसियों को भी इस प्रकार की अनियमितताओं की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने बल देते हुए कहा कि "विश्वविद्यालयों में होने वाला हर शोध जनता के कल्याण और समस्याओं के समाधान के लिए होना चाहिए, तभी उसका वास्तविक महत्व सिद्ध होगा।"

छात्रों को रियल हीरो से जोड़ने की जरूरत
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में छात्रों को केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं बल्कि अनुभव और प्रेरणा देने वाले रियल हीरो से भी जोड़ा जाना चाहिए।राज्यपाल ने बताया कि हाल ही में अंतरिक्ष यात्रा कर लौटे शुभांशु शुक्ला ने राजभवन में मुलाकात की। उन्होंने कहा कि उन्हें ए.के.टी.यू. के छात्रों को अपनी यात्रा, ट्रेनिंग और इसमें प्रयुक्त तकनीक के बारे में बताना चाहिए ताकि विद्यार्थी स्पेस टेक्नोलॉजी और भारत की प्रगति से परिचित हो सकें।

रक्षा और स्पेस सेक्टर में अवसर
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पाँच स्थानों पर डिफेंस केंद्र स्थापित हो रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। साथ ही उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय में इसरो परियोजनाओं पर दी गई जानकारी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत आज स्पेस टेक्नोलॉजी में वैश्विक पहचान बना रहा है। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि डॉ चंद्रिका कौशिक से आग्रह किया कि वह अपनी टीम के साथ राजभवन आकर विश्वविद्यालयों के लिए सिलेबस सामग्री और फंडिंग एजेंसियों की नीतियों के निर्धारण में सहयोग करें।

डिजिलॉकर का उपयोग अनिवार्य हो
राज्यपाल ने चिंता जताई कि विगत दो वर्षों से विश्वविद्यालय छात्रों की डिग्री और मार्कशीट डिजिलॉकर पर अपलोड कर रहे हैं, परंतु अब भी हार्ड कॉपी दी जा रही है। उन्होंने कहा, "जब तकनीक उपलब्ध है तो छात्रों को तैयार करना होगा कि वे केवल डिजिलॉकर से ही अपने दस्तावेज प्राप्त करें।"

वेद,पुराण और गर्भ संस्कार
राज्यपाल ने भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का उल्लेख करते हुए कहा कि गणेश चतुर्थी के प्रसंग में गणेश जी का सिर जोड़ा जाना विश्व की पहली माइक्रो सर्जरी के रूप में देखा जा सकता है। इसी तरह महाभारत में अभिमन्यु को मां के गर्भ में शिक्षा मिलने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गर्भ संस्कार का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर गहराई से पड़ता है। इस विषय पर छात्रों के लिए वर्कशॉप आयोजित किए जाने की आवश्यकता बताई गई।

सामाजिक कुरीतियों पर अभियान चलाने का आह्वान
उन्होंने विश्वविद्यालयों और छात्रों से आग्रह किया कि वे दहेज प्रथा, मद्यपान और भीख मांगने जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाएं। राज्यपाल ने कहा कि छात्रों को संकल्प लेना चाहिए कि वह दहेज नहीं लेंगे और छात्राओं को संकल्प लेना चाहिए कि वे ऐसे जीवनसाथी का चयन करें जो दहेज और नशे के खिलाफ हो। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए छात्रों को गाँवों में जाकर आमजन से संवाद करना होगा। राज्यपाल ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को भीख मांगते देखना दुखद है। छात्र-छात्राओं और विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि ऐसे बच्चों को स्कूलों तक पहुँचाने का प्रयास करें, उनके परिवार से चर्चा करें और उनकी मदद करें। उन्होंने गुजरात राजभवन द्वारा चलाए गए ऐसे प्रयासों का उदाहरण भी दिया।

आंगनबाड़ी और निरीक्षण व्यवस्था पर जोर
उन्होंने आंगनबाड़ियों में सभी सुविधाओं को सुनिश्चित करने पर बल दिया और कहा कि डीएम तथा जिला विकास अधिकारी इस पर विशेष ध्यान दें। झांसी और ललितपुर में डीएम द्वारा बच्चों को स्वच्छता किट वितरित करने की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और जेलों का औचक निरीक्षण करें।

राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की जिम्मेदारी युवाओं पर : डॉ. चंद्रिका कौशिक
मुख्य अतिथि एवं डीआरडीओ की वैज्ञानिक डॉ. चंद्रिका कौशिक ने सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस वीरभूमि में स्थापित विश्वविद्यालय में आकर वे गर्व और सम्मान का अनुभव कर रही हैं। डॉ. कौशिक ने कहा कि छात्रों की प्रगति से ही राष्ट्र और विश्व का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय को NAAC A++ रेटिंग, NIRF रैंकिंग और अन्य उपलब्धियों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी ही तकनीकी बदलाव और शोध की रीढ़ है। इसलिए छात्रों को चाहिए कि वे नई तकनीकों पर काम कर देश को आत्मनिर्भर और विश्व में अग्रणी बनाने में भूमिका निभाएं।

शिक्षा जगत में सकारात्मक परिवर्तन
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, फोर ईयर डिग्री प्रोग्राम, नेशनल रिसर्च फाऊंडेशन, शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण (विदेशी विश्वविद्यालयों से MOU), विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, इनोवेशन हब और इनक्यूबेशन सेंटर जैसे पहल ने शिक्षा जगत को पूरी तरह रूपांतरित किया है। इन बदलावों से आने वाले समय में उद्योगोन्मुखी स्नातक तैयार होंगे और यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री पार्टनरशिप और अधिक मजबूत होगी। मुख्य अतिथि ने कहा कि रिसर्च, पेटेंट और इनोवेशन से ही स्टार्टअप इंडिया आंदोलन को मजबूती मिली है। इंडस्ट्रियल थिंकिंग के चलते भारत आज विश्व की कई समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत
डॉ. कौशिक ने कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि तेजस एयरक्राफ्ट, अर्जुन टैंक, नेत्र रडार, अग्नि मिसाइल, सोनार, टॉरपीडो और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत ने विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने बताया कि भारत अब स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर भी बना रहा है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ आज शैक्षणिक संस्थानों और भारतीय उद्योगों के साथ मिलकर नई प्रणालियों का विकास कर रहा है, जो भविष्य में विश्व में अग्रणी होंगी। इस अवसर पर उन्होंने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित DST टेक हब की भी सराहना की।

युवाओं से आह्वान : चुनौतियों से न डरें
डॉ. कौशिक ने युवाओं से कहा कि वे चुनौतियों से डरें नहीं बल्कि उनका सामना करें, उनसे सीखें और आगे बढ़ें। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने स्वावलंबन और आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले दस वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाने और देश को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए शिक्षा, कौशल और मूल्यों पर आधारित समाज का निर्माण आवश्यक है। यह जिम्मेदारी युवाओं की है, क्योंकि भारत की आधे से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु वाले युवाओं की है।

तकनीक आधारित होगा भविष्य:डॉ. चंद्रिका कौशिक
उन्होंने ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में रक्षा उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करेगा। डॉ. कौशिक ने कहा कि आने वाला समय पूरी तरह तकनीक पर आधारित होगा। भारत को इस चुनौती के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में वैश्विक श्रेष्ठता हासिल करनी होगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 तक भारत लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात करेगा। इसके साथ ही रक्षा उत्पादन की राशि लगभग 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच जाएगी।


राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण : राज्य मंत्री रजनी तिवारी
 बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह की विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने सभी उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं, उनके गुरुजनों और अभिभावकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि झांसी वीरों और वीरांगनाओं की भूमि है और यहां की बेटियां देशभर के लिए प्रेरणा देती हैं।

बेटियां समाज को देते हैं रोशनी
राज्य मंत्री ने सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तियों “खूब लड़ी मर्दानी” का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां की बेटियां छोटे दीपक की तरह हैं, जो बड़े से बड़े अंधकार को दूर कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि बेटियां भी दीपक की तरह होती है जो न केवल स्वयं प्रकाशित रहती है बल्कि समाज और वातावरण को भी रोशन करती हैं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह अवसर है जीवन का नया अध्याय शुरू करने का। यह आपके परिश्रम, लक्ष्य और संकल्प से तय होगा कि आप समाज, प्रदेश और देश को किस प्रकार आगे बढ़ाते हैं।

विकसित भारत – विजन 2047
राज्य मंत्री ने कहा कि भारत ने हाल ही में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया है। अब हमारा लक्ष्य प्रधानमंत्री के विज़न 2047 के अनुरूप भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाना है। इसमें युवाओं और छात्रों का योगदान सबसे अहम होगा। राज्य मंत्री ने कहा कि आज का भारत बदल चुका है। पहले हम विकसित देशों की श्रेणी में पीछे होते थे, लेकिन अब हम 11वीं से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और अब तीसरा स्थान हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा, राष्ट्र और समाज निर्माण के नए द्वार खोले हैं, जिनका सकारात्मक प्रभाव आने वाले वर्षों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। इस अवसर पर विद्या परिषद के सदस्य, कार्य परिषद के सदस्य, कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर वित्त अधिकारी प्रमोद कुमार, संकायों के अधिष्ठाता, संबंध महाविद्यालय के प्राचार्य, अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित रहे।

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