लखनऊ में 28 और 29 सितंबर को होगा सपा का सम्मेलन, मुलायम पीढ़ी के नेताओं का दिखेगा अभाव

Edited By Pooja Gill,Updated: 27 Sep, 2022 12:06 PM

sp s conference will be held in lucknow on sept

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 28 सितंबर को प्रांतीय और 29 सितंबर को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। सपा की स्थापना के बाद से पहली बार यह सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा...

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 28 सितंबर को प्रांतीय और 29 सितंबर को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। सपा की स्थापना के बाद से पहली बार यह सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा और इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि इस बार भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही होंगे। लेकिन इस बार अखिलेश यादव के सामने नेतृत्व क्षमता साबित करने की बड़ी चुनौती होगी।

राजधानी में होगा सम्मेलन
बता दें कि राजधानी के रमाबाई अंबेडकर मैदान में होने वाला समाजवादी पार्टी का प्रांतीय व राष्ट्रीय सम्मेलन कई मायने में अहम होगा। पार्टी 28 और 29 सितंबर को होने वाले इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसमें कई आर्थिक व सामाजिक प्रस्ताव पारित होंगे। अखिलेश यादव भले ही पांच साल पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हों, पर उनका यह पहला सम्मेलन हैं, जिसमें वह खुद सर्वेसर्वा होंगे। इसमें पार्टी संरक्षक पहुंचेंगे, इस पर संशय है। सम्मेलन में मुलायम की पीढ़ी के नेताओं का अभाव दिखेगा तो परिवारवाद की छाया से निकलने की छटपटाहट भी दिखेगी। यह सियासी फलक पर पार्टी को ताकत देने के साथ ही नई चुनौतियों से भी रूबरू कराएगा।

कई बदलाव होने से बढ़ी चुनौतियां
मिली जानकारी के अनुसार सम्मेलन में अखिलेश यादव का ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है, लेकिन कार्यकारिणी में नई हवा है, नई सपा है का असर दिखेगा। इसमें ऊर्जावान चेहरों को तवज्जो मिलेगी। नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष पद पर दोबारा मौका मिल सकता है। उनके राष्ट्रीय कमेटी में जाने पर पार्टी पिछड़े वर्ग के अन्य नेताओं पर दांव लगा सकती है। हालांकि अंदरखाने दलित चेहरे की तलाश है। दूसरे दल से आए नेताओं का नाम भी हैं, पर हाईकमान समाजवादी संघर्ष से निकले चेहरे पर दांव लगाने पर विचार कर रहा है। वहीं, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कई ऐसे नेता सपा में शामिल हुए हैं, जो मुलायम सिंह के कार्यकाल में उनके खिलाफ रहे हैं। सामाजिक समीकरण के हिसाब से वे फिट हैं, पर पार्टी के मूल कैडर के साथ दूसरे दल के कैडर का समायोजन चुनौतीपूर्ण हैं। कमेटियों के गठन में भी इसका ध्यान रखा जाएगा।
 

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