Edited By Ramkesh,Updated: 03 Feb, 2023 01:59 PM

रामचरितमानस की चौपाई को लेकर समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की अभद्र टिप्पणी के बाद प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। सपा, बसपा, कांग्रेस, भाजपा अपनी राजनीतिक नफा नुकसान को देखकर बयान दे रही हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के...
लखनऊ: रामचरितमानस की चौपाई को लेकर समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की अभद्र टिप्पणी के बाद प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। सपा, बसपा, कांग्रेस, भाजपा अपनी राजनीतिक नफा नुकसान को देखकर बयान दे रही हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय सहसंयोजक सिमरनजीत सिंह और सिख समुदाय के लोग रामचरितमानस की पुस्तक लेकर राजधानी लखनऊ सपा कार्यालय पहुंचे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। दरअसल, सपा कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर और स्वामी प्रसाद मौर्य के विरोध में अखिलेश यादव को रामचरितमानस देने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान सपा और सिख समुदाय के बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच नौंक झोंक भी हुई। हालांकि पुलिस ने सिख समुदाय के लोगों को कार्यालय जाने से पहले ही रोक दिया।

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी महीने 22 जनवरी को रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उनमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था। साधु-संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी। उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज किया गया। उनके समर्थन में आए एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने रविवार को रामचरितमानस के कथित आपत्तिजनक अंश की प्रतियां जलाई थीं। इस मामले में भी आज मुकदमा दर्ज हुआ है। उसमें स्वामी प्रसाद मौर्य को भी आरोपी बनाया गया है।