'घूस के पैसों में हिस्सा नहीं देते तहसीलदार' चपरासी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लगाई न्याय की गुहार!

Edited By Imran,Updated: 06 Sep, 2024 01:24 PM

peon wrote a letter to the district magistrate pleading for justice

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार खत्म होने का दावा हर दिन हर मंच से किया जाता है, लेकिन जौनपुर जिले में एक पत्र वायरल हो रहा है जो कहीं न कहीं उन दावों को खोखला साबित कर रही है। वह पत्र एक चपरासी के द्वारा लिखी गई है और उसमें...

Jaunpur News: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार खत्म होने का दावा हर दिन हर मंच से किया जाता है, लेकिन जौनपुर जिले में एक पत्र वायरल हो रहा है जो कहीं न कहीं उन दावों को खोखला साबित कर रही है। वह पत्र एक चपरासी के द्वारा लिखी गई है और उसमें जिलाधिकारी से मांग की गई है कि वसूली किए जाने वाले पैसों में हिस्सेदारी  बढ़ाया जाए।

आपको बता दें कि यह पूरा मामला जिले की शाहगंज तहसील का है। यहां की शाहगंज तहसील में पदस्थ एक चपरासी ने जौनपुर के जिलाधिकारी से पत्र लिखकर न्याय की अपील की है। चपरासी नायब तहसीलदार को मिले घूस और अवैध कमाई में हिस्सेदारी नहीं मिलेने से क्षुब्ध है।
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क्या है पूरा मामला
नायब तहसीलदार शैलेन्द्र कुमार सरोज शाहगंज तहसील में तैनात हैं, जबकि राजाराम यादव उनका प्राइवेट चपरासी है। जो कि नायब तहसीलदार के लिए अवैध वसूली करता है. राजाराम ने साहब पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो और उसके साथ दो और चपरासी जान जोखिम में डालकर नायब तहसीलदार शैलेन्द्र कुमार सरोज के लिए अवैध वसूली करते हैं। जिसके एवज में राजाराम को महज 500 रुपये मिलते हैं, जबकि बाकियों को 1000 रुपये प्रतिदिन दिया जाता है। इसलिए उसने कलेक्टर को पत्र लिखकर हिस्सेदारी बढ़वाने की मांग की है।

डीएम ने एसडीएम को दिए जांच के आदेश
अब ऐसी पत्र वायरल होने के बाद विभाग में हड़पंम मचना लाजिम था। चपरासी की चिठ्ठी पढ़ने के बाद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने एसडीएम शाहगंज को इस मामले की जांच के निर्देश दिए। एसडीएम राजेश चौरसिया ने 5 सितंबर को नायब तहसीलदार से आख्या (रिपोर्ट) तलब की। जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने कहा कि तहसील में कोई प्राइवेट कर्मी कार्यरत नहीं है। राजाराम यादव का आरोप पूरी तरह से मिथ्या और भ्रामक है।
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रिपोर्ट ने आरोपों को बताया झूठा
एसडीएम की जांच रिपोर्ट के अनुसार, राजाराम यादव का नाम और अन्य विवरण पत्र में मौजूद नहीं हैं। नायब तहसीलदार तथा तहसीलदार द्वारा की गई। जांच में कोई प्राइवेट कर्मी का प्रमाण नहीं मिला है। इस प्रकार, पत्र को झूठा और भ्रामक बताया गया है।

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