Edited By Anil Kapoor,Updated: 01 Oct, 2023 08:02 AM
Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि माफिया और पूर्व लोकसभा सदस्य अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज में हत्या के संबंध में की जा रही जांच में पुलिस की ‘‘कोई गलती'' नहीं पाई गई है। शीर्ष अदालत में...
Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि माफिया और पूर्व लोकसभा सदस्य अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज में हत्या के संबंध में की जा रही जांच में पुलिस की ‘‘कोई गलती'' नहीं पाई गई है। शीर्ष अदालत में याचिकाओं के जवाब में दाखिल एक स्थिति रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश ने कहा है कि उसने 2017 के बाद से गैंगस्टर विकास दुबे के मारे जाने समेत विभिन्न पुलिस मुठभेड़ों और अन्य घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अहमद (60) और अशरफ को 15 अप्रैल को पत्रकार बनकर आए तीन लोगों ने उस समय बहुत करीब से गोली मार दी, जब पुलिसकर्मी उन्हें जांच के लिए मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे। राज्य ने अपनी रिपोर्ट में, वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में इन मामलों की स्थिति का विवरण दिया है।
पुलिस 3 आरोपियों के खिलाफ पहले ही दाखिल कर चुकी है आरोपत्र
मिली जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने अहमद और अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया था और अदालत तथा विभिन्न आयोगों की विभिन्न पिछली सिफारिशों के अनुपालन के बारे में पूछा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अहमद और अशरफ की हत्या से संबंधित मामले में पुलिस पहले ही तीन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है और मामला निचली अदालत में लंबित है। अहमद और अशरफ की हत्या में की गई जांच का विवरण देते हुए स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कुछ अन्य बिंदुओं पर सबूत इकट्ठा करने के लिए जांच आंशिक रूप से जारी है। स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलों में जिन सात घटनाओं (अहमद और अशरफ की हत्या सहित) का जिक्र किया है, उनमें से प्रत्येक की इस अदालत द्वारा विभिन्न निर्णयों में जारी निर्देशों के अनुसार राज्य द्वारा जांच की गई है और जहां जांच पूरी हो गई है, वहां पुलिस की ओर से कोई गलती नहीं पाई गई है।
दो अलग-अलग याचिकाओं पर हो रही सुनवाई
आपको बता दें कि रिपोर्ट शीर्ष अदालत के समक्ष दाखिल की गई है, जहां दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। एक याचिका तिवारी ने दायर की थी, दूसरी माफिया अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें अपने भाइयों की हत्या की व्यापक जांच के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया। इसमें कहा गया है कि तिवारी ने ज्यादातर उन मुद्दों को ‘‘फिर से उठाया'' है जिन पर पहले ही निर्णय लिया जा चुका है और शीर्ष अदालत द्वारा पिछली कार्यवाही में बंद कर दिया गया है। स्थिति रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वर्तमान याचिका के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता (तिवारी) उप्र में कथित पुलिस मुठभेड़ों में अपराधियों की मौत से चिंतित है और अंत में, पुलिस मुठभेड़ों में खतरनाक गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गिरोह के कुछ सदस्यों की मौत का उल्लेख किया गया है।
याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से न्यायमूर्ति बी एस चौहान आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ भी शिकायतें उठाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से न्यायमूर्ति बी एस चौहान आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ भी शिकायतें उठाई हैं। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश चौहान ने उस आयोग का नेतृत्व किया जिसने 2020 में विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच की थी। दुबे और उसके लोगों ने जुलाई 2020 में कानपुर जिले के अपने पैतृक गांव बिकरू में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था और उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में वापस लाया जा रहा था जब उसने कथित तौर पर भागने की कोशिश की तो उसे गोली मार दी गई। पुलिस मुठभेड़ की सत्यता पर संदेह जताया गया था। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘2017 के बाद से हुई सभी पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं में मारे गए अपराधियों से संबंधित विवरण और जांच, पूछताछ के नतीजों को हर महीने एकत्र किया जाता है और पुलिस मुख्यालय स्तर पर उनकी पड़ताल की जाती है।''