Sanjeev Jeeva Murder: बाराबंकी की जेल से भी गैंग ऑपरेट था जीवा, सपा नेता की हत्या में आया था नाम

Edited By Imran,Updated: 08 Jun, 2023 01:20 PM

jeeva has been operating the gang from barabanki jail as well

Sanjeev Jeeva Murder: लखनऊ कोर्ट में मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर या यूं कह लीजिए कि मुख्तार अंसारी के तरकश का अंतिम तीर न्यायालय परिसर में गोलियों से भून दिया गया है, पुलिस की नाकामी से लोक व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर अपराधियों ने गोली से प्रहार...

Sanjeev Jeeva Murder: लखनऊ कोर्ट में मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर या यूं कह लीजिए कि मुख्तार अंसारी के तरकश का अंतिम तीर न्यायालय परिसर में गोलियों से भून दिया गया है, पुलिस की नाकामी से लोक व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर अपराधियों ने गोली से प्रहार किया, जीवा पेशेवर अपराधी रहा, जिसके तार उन तमाम लोगों से जुड़े रहे जो राजनीति की आड़ में अपराध को बढ़ावा देते चले आ रहे हैं, संजीव माहेश्वरी काफी समय तक बाराबंकी जेल में निरुद्ध रहा और यहां भी उसने जुर्म की दुनिया में अपना नाम बनाए रखा।

आरोप है कि गैंगस्टर आरोपी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा बाराबंकी जेल में रहने के दौरान युवाओं का गैंग ऑपरेट करता था, अपनी बादशाहत कायम करने के लिए जीवा प्रदेश में रंगदारी वसूली, हत्या करवाना रियल स्टेट करोबार में बड़ी डील जेल से ही करवाता था, प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कोर्ट में मारा गया कुख्यात माफिया डॉन संजीव महेश्वरी जीवा जिले की कारागार में भी मई 2013 से मई 2015 तक निरुद्ध रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, जीवा बाराबंकी जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट करता था, उसने जेल में रहने के दौरान स्थानीय युवकों की फौज तैयार की थी और उनसे रंगदारी वसूली और जमीनों पर कब्जे का धंधा करवाता था, यहां पर रहने के दौरान इलाज के बहाने लखनऊ जाकर रियल स्टेट की बड़ी डील करता था, उस समय सपा की सरकार में उसको सत्ता के मिले संरक्षण के कारण स्थानीय सपा नेताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन स्थानीय नेताओं की दाल नही गली।

बंकी निवासी मुलायम सिंह यादव यूथ बिग्रेड के जिला महासचिव अरविंद यादव की बंकी बाजार में 15 जनवरी 2014 को दिन दहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था,इस दौरान जीवा बाराबंकी की जेल में बंद था। सपा नेताओं का आरोप था कि जीवा जेल से रियल स्टेट का धंधा कर रहा है, उसके इशारे पर कार्य न करने पर हत्या करा दी जाती है, यह भी कहा जाता रहा कि अरविदं यादव के पिता ने वारदात से तीन दिन पहले माफिया जीवा के इशारे पर शहर के ही युवकों रीशू जायसवाल, पंकज वर्मा आदि के माध्यम से किसी डील से अलग होने का दबाव बनाया था, इसकी जानकारी पिता ने तत्कालीन एसपी रहे आनंद कुलकर्णी को लिखित में दी लेकिन कार्रवाई न होने से पहले ही हत्या कर दी गई।

तत्कालीन सीएम रहे अखिलेश यादव ने हत्या पर तब के एसपी आनंद कुलकर्णी को लापरवाही करने के आरोप में निलंबित किया था, रीशू जायसवाल सहित आठ पर हत्या का केस दर्ज हुआ था पर जीवा को नामजद न करने पर सपाइयों ने जीवा को जिला जेल से बाहर भेजने के लिए जमकर प्रदर्शन किए थे, बाबजूद इसके न जीवा नामजद हुआ और न ही उसकी जेल बदली गई थी, जिसे बाद में तत्कालीन जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा ने भरसक प्रयास कर रातोरात मैनपुरी जेल भिजवाया तब शहर में अमन कायम हुआ, सपाइयों ने आरोप लगाया था कि अरविंद की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वह पूर्वांचल के दूसरे माफिया पन्ना यादव के लिए कार्य करता था।

बाराबंकी जेल में बंद रहने के दौरान ही जीवा ने हाईवे के आसपास की गरीब किसानों की जमीनों को जबरन सस्ती कीमतों में खरीदने का कार्य जमकर किया था, चार अप्रैल 2015 को लखनऊ के थाना गोमतीनगर इलाके के हुसेड़िया चैराहा पर बाइक से जा रहे बाराबंकी के किसान पट्टू यादव की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी, हत्या में नगर के अभयनगर निवासी शूटर को दबोचा गया.,इस पर शूटर ने पुलिस से कहा कि पट्टू ने बाराबंकी जेल में बंद संजीव महेश्वरी जीवा के कहने के बाद भी जमीन बेचने से इंकार करने पर ही उसने पट्टू की हत्या की है, इस पर गोमतीनगर की पुलिस ने कोर्ट से 48 घंटे की कस्टडी रिमांड लेकर पूछताछ की थी, इस दौरान ही कई अन्य मामले आए जिनमें साफ हुआ कि जीवा ने बारांबकी जेल में रहना खुद चुना था, यहां से इलाज के बहाने जीवा लखनऊ जाता था और वहां पर सत्ता व रियल स्टेट की बड़ी डील में हिस्सा लेता था

बाराबंकी जेल में आने से पहले जीवा को प्रयागराज की नैनी जेल में रखा गया था, प्रयागराज की जेल में रहने के दौरान जीवा ने बाराबंकी में अपने स्लीपर माड्यूल के रूप में अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ टेनी व सुनील अवस्थी आदि की नई फौज तैयार की थी, इसके बाद जीवा ने बाराबंकी की रेलवे स्टेशन की साइडिंग पर पूर्वांचल के जिलों के ईंट भट्टों के आने वाले कोयला की खेप पर वसूली के लिए साल 2009 और 2011 में व्यापारियों को धमकी दी थी, वसूली के लिए उसके गुर्गे दो बार कोयले की रैक उतरने के स्थल पर जाकर बमबाजी कर दी थी,इस पर दो रंगदारी वसूली के केस बाराबंकी नगर की कोतवाली में दर्ज हुए थे। बाराबंकी की शहर कोतवाली में साल 2011 में गैंगस्टर का केस दर्ज किया गया था।
 

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