Edited By Mamta Yadav,Updated: 17 Aug, 2025 02:51 AM

शारदा यूनिवर्सिटी के बीटेक छात्र शिवम ने स्वतंत्रता दिवस के दिन हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अब उनका सुसाइड नोट सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपनी असफलताओं के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराते हुए परिजनों से माफी मांगी है। यह हृदयविदारक...
Greater Noida: शारदा यूनिवर्सिटी के बीटेक छात्र शिवम ने स्वतंत्रता दिवस के दिन हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अब उनका सुसाइड नोट सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपनी असफलताओं के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराते हुए परिजनों से माफी मांगी है। यह हृदयविदारक घटना न सिर्फ एक छात्र की व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
शिवम का सुसाइड नोट: ‘मैं यूजलेस हूं, बाबा मुझे माफ करना’
बिहार के मधुबनी जिले के निवासी शिवम ने सुसाइड नोट में लिखा, “मेरी मौत का मैं ही जिम्मेदार हूं। किसी और को इसके लिए दोषी न ठहराया जाए। मैं किसी काम का नहीं, ये दुनिया मेरे लिए नहीं बनी।” उन्होंने आगे लिखा, “बाबा-मां सॉरी, मैं यूजलेस हूं। मैं आपके बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सका। अब ये तनाव और नहीं झेल सकता।”
'मेरी फीस माता-पिता को लौटा दी जाए'
शिवम ने शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए लिखा कि अगर देश को महान बनना है, तो पहले सही एजुकेशन सिस्टम शुरू करना होगा। उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रबंधन से आग्रह किया कि उनकी जमा की गई फीस उनके माता-पिता को लौटा दी जाए।
शैक्षणिक दबाव और विफलताएं बनी वजह
शिवम ने 2022-23 में शारदा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस (CSE) में दाखिला लिया था। 2023-24 में वे सेकेंड ईयर में पहुंचे, लेकिन लगातार खराब शैक्षणिक प्रदर्शन के चलते वे थर्ड ईयर में प्रमोट नहीं हो सके। यूनिवर्सिटी ने उन्हें समर टर्म में प्रदर्शन सुधारने का अवसर दिया, लेकिन वह आवश्यक CGPA हासिल नहीं कर सके। अगस्त 2024 में उन्हें एक और अतिरिक्त अवसर मिला, लेकिन वह फिर भी न्यूनतम योग्यता नहीं पूरी कर पाए। इसके बाद उन्हें सेकेंड ईयर में पुनः प्रवेश का विकल्प दिया गया, लेकिन तभी से उन्होंने यूनिवर्सिटी से दूरी बना ली।
परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़
शिवम की आत्महत्या से उनका परिवार सदमे में है। परिजन इस बात को समझ नहीं पा रहे कि उनके बेटे ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। यह घटना एक बार फिर यह स्पष्ट करती है कि मानसिक स्वास्थ्य, विशेषकर छात्रों में, एक बेहद गंभीर विषय है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।