यमुना जल बंटवारे में केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन, यूपी को नहीं मिल रहा हिस्से का पानी

Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Jan, 2023 09:38 PM

yamuna water is being distributed up is not getting its share

केंद्र सरकार के यमुना जल बंटवारे में दिए गए दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। उत्तर प्रदेश को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल पा रहा है। यमुना जल पर सर्वाधिक कब्जा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा का रहता है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के यमुना जल बंटवारे में दिए गए दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। उत्तर प्रदेश को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल पा रहा है। यमुना जल पर सर्वाधिक कब्जा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा का रहता है। उसके बाद दिल्ली है। इसकी वजह से दिल्ली और यूपी में यमुना का पानी जरूरत से ज्यादा प्रदूषित है और पर्यावरणीय बहाव बाधित हो रहा है। जल शक्ति मंत्रालय जल्दी ही छह राज्यों की बैठक बुलाने जा रहा है।

'वाटर शेयरिंग एग्रीमेंट पर ईमानदारी से नहीं हो रहा काम
उत्तराखंड के यमुनोत्री से निकली यमुना के जल बंटवारे में उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान का हिस्सा है। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई वर्ष पहले 'वाटर शेयरिंग एग्रीमेंट हुआ था उस पर ईमानदारी से काम नहीं हो रहा है। इस वजह से हरियाणा से दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के पानी में भारी कटौती हो रही है। हरियाणा के किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए हथिनीकुंड में पानी को रोक दिया जाता है। जब वहां बाढ़ जैसी स्थिति होती है, तब इस बैराज से दिल्ली के लिए पानी छोड़ा जाता है।दिल्ली ने भी ओखला पर बैराज बना रखा है। दिल्ली में पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत यमुना नदी ही है। इसलिए दिल्ली से उत्तर प्रदेश को पानी तब मिलता है, जब दिल्ली में अतिरिक्त पानी होता है और यह स्थिति कभी आती ही नहीं है, क्योंकि हरियाणा से ही दिल्ली को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना के पर्यावरणीय बहाव को सुधारने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश भी दिए हैं। उत्तर प्रदेश में यमुना से मथुरा, आगरा, इटावा, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर व प्रयागराज के क्षेत्रों को पानी मिलता है।

उच्च स्तरीय बैठक में बंदरबांट के कई मामले सामने आए
यमुना जल बंटवारे को लेकर अभी हाल ही में यहां पर एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई। है, जिसमें यमुना जल के बंदरबांट के कई मामले सामने आए हैं। इसके लिए आठ सूत्री कार्य योजना भी बनाई गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस आशय की रिपोर्ट जल शक्ति मंत्रालय को दे दी है। इसी तरह की एक रिपोर्ट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी भी दे चुका है। अब यमुना के पानी पर आधारित नहरों का अस्तित्व खतरे में है, जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय वाटर शेयरिंग एग्रीमेंट को लेकर समीक्षा करने जा रहा है। इस समझौते का दूसरा भाग वर्ष 2025 में तैयार किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

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