गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के निर्देश को अदालत में दें चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

Edited By Ramkesh,Updated: 04 Aug, 2025 03:43 PM

challenge the order to transfer students of unrecognized madrasas to government

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा राज्यों से गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का आग्रह करने वाले पत्र को संबंधित उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती...

लखनऊ: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा राज्यों से गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का आग्रह करने वाले पत्र को संबंधित उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। याचिकाकर्ता संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा की सरकारों द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के निर्देश देने के फैसले को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में दिए गए संरक्षण को बढ़ाएगी और उन्हें उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता देगी। पिछले साल 21 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर द्वारा जारी पत्र और कुछ राज्यों की परिणामी कार्रवाइयों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत का पहले से ही एक अंतरिम आदेश है जिसमें परिपत्रों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई गई है।

 उन्होंने कहा कि मामले की अंतिम सुनवाई आवश्यक है। उत्तराखंड की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले ही संकेत दिया था कि मामला उच्च न्यायालय में जा सकता है। जयसिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले में पहले ही आदेश पारित कर चुकी है। पीठ ने कहा, ‘‘आप (याचिकाकर्ता) अब भी उच्च न्यायालय जा सकते हैं। यह एक संवैधानिक न्यायालय है।'' जयसिंह ने कहा कि जैसे ही प्रतिवादी अपना जवाब दाखिल करेंगे, वह इस मामले में बहस के लिए तैयार हैं।

 उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल यह कह रहे हैं कि आप उच्च न्यायालय जा सकते हैं। अब, आपको पहले से ही संरक्षण प्राप्त है। हम संरक्षण का विस्तार करेंगे और आपको उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता देंगे।'' जयसिंह द्वारा निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगने पर, पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय पर विश्वास रखें।'' मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। गत 21 अक्टूबर, 2024 को, शीर्ष अदालत ने उसी वर्ष 7 जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर के पत्रों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। उसने राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी अपनी याचिका में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी

 

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!