Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Aug, 2025 05:25 PM

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद जहां संभल की नगर पालिका में हिंदुओं की आबादी 45% थी, वहीं अब यह घटकर...
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद जहां संभल की नगर पालिका में हिंदुओं की आबादी 45% थी, वहीं अब यह घटकर मात्र 15% रह गई है। आयोग ने दावा किया है कि यह गिरावट हिंसा और पलायन का नतीजा है।
"जब फैसला पहले से तय हो तो सफाई देना बेकार है"
रिपोर्ट के सामने आते ही राज्य की राजनीति गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फकरुल हसन चांद ने इस रिपोर्ट को 'पूर्वनियोजित स्क्रिप्ट' करार दिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "जब फैसला पहले से तय हो तो सफाई देना बेकार है।" उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रिपोर्ट गोपनीय है तो फिर मीडिया में इसकी बातें क्यों की जा रही हैं।
सरकार पर भेदभाव का आरोप
फकरुल हसन चांद का आरोप है कि इस रिपोर्ट का इस्तेमाल जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने सूचना विभाग पर यह तय करने का भी आरोप लगाया कि मीडिया में क्या दिखाया जाए और क्या नहीं।
स्थानीय मंदिर विवाद को बेवजह तूल दिया गया
वहीं मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना साजिद रशीदी ने रिपोर्ट को पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि संभल में दंगे की आड़ में समुदाय विशेष को बदनाम करने और नफरत फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। मौलाना रशीदी ने स्पष्ट किया कि स्थानीय मंदिर विवाद को बेवजह तूल दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने संभल छोड़ा, वे अपने रोजगार या बेहतर जीवन की तलाश में गए, न कि किसी दंगे या दबाव के चलते। "यह कहना कि लोग दंगों की वजह से भागे, सरासर गलत है। लोग अपनी मेहनत और कारोबार की वजह से अन्य जगहों पर बसते हैं, यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं।"
मुख्यमंत्री से जांच की मांग
मौलाना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस रिपोर्ट की दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट देश में दंगा भड़काने वाली मानसिकता से प्रेरित है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की रिपोर्ट से फिर से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।