Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Jan, 2022 04:35 PM

उत्तर प्रदेश में कृषि संकट के लिये बदनाम रहे बुंदेलखंड क्षेत्र में पिछले कई दशक से किसानों का ‘कर्ज और पलायन'' मुख्य समस्या बनी हुयी है, लेकिन विधान सभा चुनाव में ये मुद्दा हावी नहीं है। अलबत्ता, पूरे ग्रामीण अंचल में आवारा जानवरों की समस्या चुनाव...
लखनऊ/झांसी: उत्तर प्रदेश में कृषि संकट के लिये बदनाम रहे बुंदेलखंड क्षेत्र में पिछले कई दशक से किसानों का ‘कर्ज और पलायन' मुख्य समस्या बनी हुयी है, लेकिन विधान सभा चुनाव में ये मुद्दा हावी नहीं है। अलबत्ता, पूरे ग्रामीण अंचल में आवारा जानवरों की समस्या चुनाव में चर्चा का विषय जरूर है। सभी राजनीतिक दलों ने इस समस्या पर सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश जरूर की है लेकिन किसी भी दल ने इस समस्या के समाधान का रास्ता अब तक अपने चुनावी वादों में नहीं बताया है।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बुंदेलखंड से लगभग 65 लाख किसानों के पलायन के बावजूद ‘किसानों का कर्ज और पलायन' चुनाव का मुद्दा न बन पाने के पीछे सियासी मजबूरियां हैं। बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल शर्मा बताते हैं कि पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार में केंद्र की एक उच्च स्तरीय समिति ने बुंदेलखंड में पलायन करने वाले किसानों की एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में करीब 65 लाख किसानों के अन्यत्र पलायन करने का जिक्र है। किसानों के हित में कई कदम उठाने के सुझाव देने वाली यह रिपोर्ट अब भी पीएमओ में धूल फांक रही हैं।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए किसानों के साथ छल कर रहे हैं। वह बताते हैं कि कर्ज, मर्ज और दैवीय आपदा से मरने वाले किसानों की लंबी फेहरिस्त है। रोजगार के अभाव में लाखों किसान दूसरे प्रान्तों में पलायन कर गए हैं। जो अपने गांव में ही रहकर खेती कर रहे हैं उनके लिये अपना ही ‘पशुधन' अब मुसीबत का सबब बन गया है। शर्मा ने कहा कि पलायन भी बुंदेलखंड का अहम चुनावी मुद्दा होना चाहिये था लेकिन राजनीतिक दलों को इसे मुद्दा बनाने से कोई लाभ नहीं है इसलिये यह चुनाव का मुद्दा नहीं बनता है।
गौरतलब है कि बुंदेलखंड के सात जिलों में झांसी जालौन, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर शामिल हैं। इन जिलों में विधानसभा की 19 सीटें हैं। इनमें बांदा की नरैनी, हमीरपुर की राठ, जालौन की उरई और ललितपुर की महरौनी सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सभी 19 सीटों पर जीती थी। इसके पहले 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को सात-सात, कांग्रेस को चार और भाजपा को एक सीट पर जीत मिली थी।