Edited By Ramkesh,Updated: 26 Aug, 2024 01:47 PM
जिले के सलोन ब्लॉक में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में यूपी एटीएस को महत्वपूर्ण सफलता मिली है। दरअसल, इस मामले में 25 हजार के इनामी को यूपी एटीए ने दबोच लिया है। यह सफलता यूपी एटीएस और सलोन पुलिस की संयुक्त टीम ने लखनऊ से रविकेश नामक...
रायबरेली: जिले के सलोन ब्लॉक में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में यूपी एटीएस को महत्वपूर्ण सफलता मिली है। दरअसल, इस मामले में 25 हजार के इनामी को यूपी एटीए ने दबोच लिया है। यह सफलता यूपी एटीएस और सलोन पुलिस की संयुक्त टीम ने लखनऊ से रविकेश नामक आरोपी को गिरफ्तार किया, जो इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड था। आरोपी है कि सलोन में ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) की आइडी से 19,184 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए थे। जिसे लेकर आरोपी के खिलाफ विभाग ने केस दर्ज कराया था।
एटीएस अधिकारियों के मुताबिक आरोपित ने दो वेबसाइट व सरकारी पोर्टल के माध्यम से कई राज्यों में लगभग चार लाख फर्जी जन्म प्रमाण पत्र व पांच हजार फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए। अधिकारियों के अनुसार अन्य संदिग्धों के नाम भी सामने आए हैं, जिन्होंने ग्राम विकास अधिकारी की आइडी व पासवर्ड का दुरुपयोग कर प्रमाण पत्र बनाए हैं।
एटीएस ने बताया कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले का मास्टरमाइंड है। उसे लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में उसने बताया कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए उसने वर्ष 2022 में पोर्टल www.crsogovr.in व वर्ष 2023 में www.thedashboard. in तैयार किया था। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के एक पेज के माध्यम से रविकेश ने उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों को मिलाकर गैंग तैयार किया। गैंग के अधिकतर सदस्य जन सुविधा केंद्र (सीएससी) संचालक हैं। पोर्टल के लगभग 4100 यूजर हैं, जिसमें 1500 एक्टिव यूजर हैं। रविकेश फर्जी प्रमाण पत्रों के दम पर प्रतिदिन दो से तीन हजार रुपये कमाता था। सहायक विकास अधिकारी की तहरीर पर पुलिस ने 17 जुलाई को मुकदमा दर्ज कर विजय सिंह यादव, जीशान खान, रियाज खान, सुहैल को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 13 अन्य को गिरफ्तार किया गया।
रविकेश पर आरोप है कि वह फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के काम में संलिप्त था और पहले से जेल भेजे गए आरोपियों के साथ संपर्क में था। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि रविकेश ने पैसे के लालच में यह फर्जीवाड़ा किया। हालांकि, बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के प्रमाणपत्र बनाने की बात सामने नहीं आई है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।