बेटी नहीं है बोझ, आवो बदलें सोच: ये लेड़ी डॉक्टर बेटी पैदा होने पर नहीं लेती फीस...बांटती हैं मिठाई

Edited By Umakant yadav,Updated: 24 Aug, 2021 02:10 PM

this lady doctor does not take fees when a daughter is born

कहने को भले ही हम 21वीं सदी में चांद पर पहुंच गए हैं लेकिन आज भी हमारे देश में बेटा-बेटी के बीच फर्क मौजूद है। आए दिन खबरों में दिल दहलाने वाली घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिसमें बेटे की चाह में लोग बेटियों को गर्भ में ही मार देते हैं। कभी नाले तो...

वाराणसी: कहने को भले ही हम 21वीं सदी में चांद पर पहुंच गए हैं लेकिन आज भी हमारे देश में बेटा-बेटी के बीच फर्क मौजूद है। आए दिन खबरों में दिल दहलाने वाली घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिसमें बेटे की चाह में लोग बेटियों को गर्भ में ही मार देते हैं। कभी नाले तो कभी कचरे के ढेर में भ्रूण मिलते हैं। लेकिन इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बेटियों पर जान छिड़कते हैं। बता दें कि बेटियों का पैदा होना किसी उपहार से कम नहीं है। ऐसी ही एक लेडी डॉक्‍टर हैं शिप्रा धर, जो बेटी  नहीं है बोझ, आवो बदले सोंच मुहिम के तहत काम कर रही हैं। इस मुहिम के तहत वह अपने नर्सिंग होम में बच्‍ची पैदा होने पर मिठाइयां बांटती हैं और कोई डिलिवरी फीस भी नहीं लेती।

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कन्‍या भ्रूण हत्‍या के खिलाफ मुहिम
डॉ. शिप्राधर ने बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की है। वह वाराणसी के पहाड़िया क्षेत्र में नर्सिंग होम चलाती हैं। कन्या भ्रूण हत्या रोकने और लड़कियों के जन्म को बढ़ाना देने के लिए उन्‍होंने यह अलग मुहिम चलाई है। वह नर्सिंग होम में बच्ची के जन्म पर उसके परिवार के साथ ही पूरे नर्सिंग होम में मिठाई बंटवाती हैं। बच्‍ची के जन्‍म को बढ़ावा देने के लिए वह नर्सिंग होम में बेटी के जन्‍म होने पर कोई डिलिवरी चार्ज भी नहीं लेती हैं।

आज भी बेटियों के जन्म से दु:खी होते हैं परिजन: डॉ. शिप्रा
डॉ. शिप्रा धर श्रीवास्तव कहती हैं, ‘लोगों में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच अभी भी है। मुझे अक्‍सर ऐसे उलाहने सुनने को मिलते हैं कि मैडम ई का कइलू, पेटवो चिरलू आउर बिटिया निकललु… जब परिजनों को पता चलता है कि बेटी पैदा हुई है तो अक्‍सर उनके चेहरे पर मायूसी छा जाती है। कई बार लोग गरीबी के कारण रोने भी लगते हैं। मैं इसी सोच को बदलने की वह कोशिश कर रही हूं।’
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ऑपरेशन भी मुफ्त, 435 बेटियों के जन्म पर नहीं लिया गया कोई चार्ज
बताया जाता है कि बेटी के जन्म पर लेडी डॉक्‍टर ना तो फीस लेती हैं और ना ही अस्‍पताल में बेड चार्ज लिया जाता है। यदि ऑपरेशन करना पड़े तो वह भी मुफ्त है। डॉ. शिप्रा के नर्सिंग होम में 25 जूलाई 2014 से अभी तक 435 बेटियों के जन्म पर कोई चार्ज नहीं लिया गया है।
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PM मोदी भी डॉ शिप्रा के मुहिम से हुए थे प्रभावित
डॉ. शिप्रा धर के अस्‍पताल की इस मुहिम के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र को जब खबर हुई, तो वह भी इससे काफी प्रभावित हुए। मई महीने में जब पीएम मोदी वाराणसी आए थे, तो डॉ. शिप्रा उनसे मिली भी थीं। पीएम ने बाद में मंच से अपने संबोधन में देश के सभी डॉक्टरों से आह्वान किया था कि वह हर महीने की नौ तारीख को जन्म लेने वाली बच्चियों के लिए कोई फीस ना लें। इससे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की मुहिम को बल मिलेगा।
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बेटियों को अस्‍पताल में पढ़ाती भी हैं डॉ. शिप्रा
डॉ. शिप्रा ने गरीब लड़कियों की शिक्षा का भी बीड़ा उठाया है। वह नर्सिंग होम में ही लड़कियों को पढ़ाती हैं। यही नहीं, वह गरीब परिवारों की बेटियों को सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ दिलाने में भी मदद करती हैं। डॉ. शिप्रा के पति डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्‍तव भी फिजीशियन हैं और वह भी इस नेक काम में अपनी डॉक्‍टर पत्‍नी का पूरा साथ देते हैं।

सभ्‍य समाज के लिए अभिशाप है भ्रूण हत्‍या
डॉ. शिप्रा धर का मानना है कि सनातन काल से बेटियों को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया। देश-विज्ञान तकनीक की राह पर भी आगे बढ़ रहा है। इसके बाद भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे कुकृत्य एक सभ्य समाज के लिए अभिशाप हैं।

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