पति-पत्नी के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर किया जा सकता है पेश-  वैवाहिक मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Edited By Ramkesh,Updated: 14 Jul, 2025 02:15 PM

recording of conversation between husband and wife can be presented as evidence

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वैवाहिक मामलों में पति-पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई बातचीत सबूत के तौर पर स्वीकार्य है। न्यायालय ने कहा कि पति-पत्नी का एक-दूसरे पर नजर रखना इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूत नहीं चल रही है और इसलिए इसका...

यूपी डेक्स: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वैवाहिक मामलों में पति-पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई बातचीत सबूत के तौर पर स्वीकार्य है। न्यायालय ने कहा कि पति-पत्नी का एक-दूसरे पर नजर रखना इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूत नहीं चल रही है और इसलिए इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया।

हाई कोर्ट  के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
उच्च न्यायालय ने कहा था कि पति-पत्नी के बीच गुप्त बातचीत साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 के तहत संरक्षित है और इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए, पीठ ने निचली अदालत के आदेश को बहाल रखा और कहा कि वैवाहिक कार्यवाही के दौरान रिकॉर्ड की गई बातचीत को संज्ञान में लिया जा सकता है। उसने कुटुंब अदालत से कहा कि वह रिकॉर्ड की गई बातचीत का न्यायिक संज्ञान लेने के बाद मामले को आगे बढ़ाए।

बातचीत रिकॉर्ड करना सबूत है कि उनकी शादी मजबूती से नहीं चल रही
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे की बातचीत रिकॉर्ड करना अपने आप में इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूती से नहीं चल रही है और इसलिए इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है। धारा 122 विवाह के दौरान संचार से संबंधित है और कहती है कि ‘‘कोई भी व्यक्ति जो विवाहित है या रहा है, उसे विवाह के दौरान किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी संचार का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा जिससे वह विवाहित है या रहा है।

पत्नी ने मौलिक अधिकार के उल्लंघन का लगाया आरोप
यह मामला बठिंडा की एक कुटुंब अदालत के फैसले पर आधारित है, जिसने पति को क्रूरता के दावों के समर्थन में अपनी पत्नी के साथ फोन कॉल की रिकॉर्डिंग वाली एक कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) का सहारा लेने की अनुमति दी थी। पत्नी ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी और तर्क दिया कि रिकॉर्डिंग उसकी जानकारी या सहमति के बिना की गई थी और यह निजता के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।

गुप्त रिकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन, कानूनी रूप से अनुचित है
 उच्च न्यायालय ने पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली और साक्ष्य को अस्वीकार्य करार देते हुए कहा कि गुप्त रिकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन है और कानूनी रूप से अनुचित है। हालांकि, न्यायमूर्ति नागरत्ना इस रुख से असहमत थीं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ तर्क दिए गए हैं कि इस तरह के साक्ष्य की अनुमति देने से घरेलू सौहार्द और वैवाहिक संबंध खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि इससे पति-पत्नी पर जासूसी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 का उल्लंघन होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि इस तरह की दलील विचारणीय है। जब शादी ऐसे स्तर पर पहुंच गई है जहां पति या पत्नी एक दूसरे पर सक्रियता से नजर रख रहे हैं, यह अपने आप में रिश्ता तोड़ने का लक्षण है और यह उनके प्रति विश्वास की कमी की ओर संकेत करता है।'

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