Pulwama Attack: शहीद अमित कोरी का घर बना मंदिर, दूसरे बेटे को भी देश सेवा में न्यौछावर करने की तमन्ना

Edited By Umakant yadav,Updated: 14 Feb, 2021 02:12 PM

pulwama attack temple built for martyr amit kori

4 फरवरी 2019, यह इतिहास की तारीख का वो काला दिन है, जिस दिन पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं के इशारे पर हिंदुस्तान में पुलवामा हमले की वारदात को अंजाम दिया गया था। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हमलावर ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ काफिले की बस को...

शामली: 14 फरवरी 2019, यह इतिहास की तारीख का वो काला दिन है, जिस दिन पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं के इशारे पर हिंदुस्तान में पुलवामा हमले की वारदात को अंजाम दिया गया था। कायरता से भरे इस आतंकी हमले में के सीआरपीएफ के 40 वीर जवान शहीद हो गए थे। शहीद जवानों में शामली के अमित कोरी भी शामिल थे। देश के लिए वीर गति पाने के बाद अब शहीद अमित कोरी पूरे परिवार और समाज के लिए भगवान बन गए हैं। जवान की शहादत ने उसके घर को भी मंदिर बना दिया है। परिवार में देशभक्ति का जज्बा ऐसा है कि पिता अपने दूसरे बेटे को भी देश सेवा में न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं, लेकिन पिता के मुताबिक केंद्र सरकार की वायदा खिलाफी इसके आड़े आ रही है। 

बता दें कि जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हमलावर ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्कर मार दी थी। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए थे। इसके बाद घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग भी की थी। जिसमें देश के 40 वीर जवानों ने शहादत हासिल की थी। इन शहीद जवानों में शामली के अमित कोरी और प्रदीप कुमार भी शामिल थे, जिनका बलिदान क्षेत्र के युवाओं को देश की आन-बान और शान की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान का पाठ पढ़ाता है। बनत निवासी शहीद प्रदीप कुमार का परिवार शैक्षिक कारणों की वजह से अधिकांश जिले से बाहर रहता है, क्योंकि शहीद प्रदीप के देश की रक्षा में प्राण न्यौछावर करने के बाद उनके पिता और परिवार के अन्य लोगों की जिम्मेदारी अब शहीद के परिवार के अधिक बढ़ गई है। इनके अलावा शहीद अमित कोरी का परिवार शामली के कुडाना रोड पर रहता है। घर के पास में ही शहीद अमित कोरी का एक स्मारक भी प्रदेश सरकार द्वारा बनवाया गया है।

शहीद अमित कोरी का घर बन गया मंदिर
पुलवामा हमले की बरसी पर जब सुबह सवेरे शहीद अमित कोरी पिता सोहनपाल अपने शहीद बेटे की पूजा करते और आरती उतारते नजर आए। पूछने पर पता चला कि घर के सभी लोगों की दिनचर्या शहीद की पूजा के बाद ही शुरू होती है। शहीद के पिता ने बताया कि उनका बेटा पूरे परिवार और समाज के लिए भगवान बन गया है। बेटे की शहादत के बाद उनका घर मंदिर बन गया है। बाहर से गुजरने वाले लोग भी घर की दहलीज पर अपना माथा टेक कर गुजरते हैं। पिता ने बताया कि शहीद बेटे ने परिवार को जो सम्मान दिलाया है। वह देश की रक्षा पर प्राण न्यौछावर करने के अलावा अन्य किसी राह पर चलकर नहीं मिल सकता।

दूसरे बेटे को भी देश सेवा में भेजने की तमन्ना
शहीद अमित कोरी के पिता ने बताया कि बेटे की शहादत के बाद प्रदेश सरकार द्वारा किए गए सभी वायदे तकरीबन पूरे हो चुके हैं। बेटे का शहीद स्मारक भी बनकर तैयार हो गया है। पिता ने बताया कि उनकी इच्छा है कि वें अपने दूसरे बेटे को भी देश सेवा की राह पर भेजे, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई है। शहीद के पिता सोहनपाल ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा शहीद परिवार के एक व्यक्ति को सेना में नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन यह वायदा पूरा नहीं हो पाया है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा किए गए वायदे के मुताबिक उनके एक बेटे को शामली जिले में ही राजस्व सहायक के रूप में नौकरी दी गई है। पिता बताते हैं कि यह उनके लिए मायने रखता है कि उनके परिवार से कोई और भी देश सेवा की राह पर आगे बढ़े, लेकिन अभी तक ऐसा नही हो पाया है।

 

 

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