भाजपा राज में ‘बाटी-चोखा' नहीं, सिर्फ ‘माटी-धोखा' मिला: अखिलेश यादव

Edited By Pooja Gill,Updated: 26 Dec, 2025 01:14 PM

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज में आम जनता को विकास और सम्मान नहीं, बल्कि केवल 'माटी-धोखा' ही मिला है...

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज में आम जनता को विकास और सम्मान नहीं, बल्कि केवल 'माटी-धोखा' ही मिला है। उन्होंने कहा कि अब स्थिति 'हाता नहीं भाता' से बहुत आगे निकल चुकी है और उपेक्षा तिरस्कार में बदल चुकी है, जिसे कोई भी स्वाभिमानी समाज सह नहीं सकता।       

'स्वाभिमानी समाज हमेशा सम्मान को ही चुनता'
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा 'जब किसी समाज के सामने केवल दो विकल्प सत्ता या सम्मान बचे रह जाते हैं, तब स्वाभिमानी समाज हमेशा सम्मान को ही चुनता है। यह सच्चाई किसी एक समाज तक सीमित नहीं, बल्कि हर वर्ग और समुदाय पर समान रूप से लागू होती है। भाजपा किसी की सगी नहीं है और आज 'भाजपाई' कहलाना एक नकारात्मक सामाजिक पहचान बनता जा रहा है।' उन्होंने कहा कि भाजपा से जुड़े लोग अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण जैसी संवेदनशील धरोहरों से खिलवाड़ करते हैं, दोष-सिद्ध अपराधियों को संरक्षण और महिमामंडन देते हैं तथा दवाइयों के नाम पर ज़हरीली-नशीली चीज़ें बेचकर लोगों की ज़दिंगी खतरे में डालते हैं। 

अखिलेश ने लगाए ये आरोप 
सपा प्रमुख ने चुनावी प्रक्रियाओं में लूट, भ्रष्टाचार, कमीशनख़ोरी और सत्ता के दुरुपयोग के गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने  आगे कहा कि नफ़रत और भय का वातावरण बनाकर समाज को बाँटना, संविधान और क़ानून के बजाय भीड़ और दबाव की राजनीति करना, तथा वैज्ञानिक सोच, शिक्षा और कला से डरना,यह सब मौजूदा सत्ता की कार्यशैली को उजागर करता है।अखिलेश के अनुसार, इसी वजह से अमीर-ग़रीब की खाई बढ़ी है, बेरोज़गारी और महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है और महिला, ग़रीब, वंचित व शोषित वर्गों के अधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है। 

'भाजपा सरकार में बराबरी का सम्मान मिलना संभव नहीं'
अखिलेश यादव ने कहा, देशभक्त, सभ्य, मानवतावादी, ईमानदार और स्वाभिमानी समाज अब ऐसे राजनीतिक आचरण के साथ खड़ा होकर अपमान और जनाक्रोश का शिकार नहीं होना चाहता। अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया कि जब तक सत्ता की इस प्रकार की राजनीति समाप्त नहीं होती, तब तक समाज को बराबरी का सम्मान मिलना संभव नहीं है।    

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