Edited By Anil Kapoor,Updated: 17 Aug, 2018 10:34 AM
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नाजुक हालत के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर रखा गया था। जहां गुरुवार शाम को उनका निधन हो गया। वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
यूपी डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नाजुक हालत के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर रखा गया था। जहां गुरुवार शाम को उनका निधन हो गया। वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक होने की वजह से वाजपेयी से मिलने के लिए नेताओं और उनके प्रशंसकों का अस्पताल के बाहर तांता लगा हुआ था। राजनीति में रहने के साथ-साथ उनका साहित्य, कविताओं और फिल्मों से भी खास नाता रहा।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति का वह चेहरा थे जिसके आलोचक भी उनकी प्रशंसा करने से गुरेज नहीं करते थे। वह ना सिर्फ एक सर्वमान्य नेता थे, बल्कि एक आदर्श इंसान भी थे। पद और सत्ता के लिए वाजपेयी ने कभी समझौता नहीं किया, वे एक असाधारण व्यक्तित्व के मालिक थे, लेकिन उनका रहन-सहन बिलकुल सादा था।
अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ बड़ी बातें:-
- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। इनके दादा पंडित श्याम लाल वाजपेयी उत्तरप्रदेश के बटेश्वर स्थित अपने पैतृक गांव से मुरैना, ग्वालियर चले गये थे। अटल बिहारी वाजपेयी के पिता शिक्षक और कवि थे
- वाजपेयी का राष्ट्रीय स्वयं सेवक के साथ शुरुआत से ही जुड़ाव था। वे 1939 से ही संघ से स्वयंसेवक के रूप में जुड़े थे। इसके साथ ही वे आर्यसमाज से भी जुड़े थे
- वाजपेयी हमेशा हिंदी में बातचीत करते नजर आते थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि उनकी पकड़ अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में भी उतनी ही है, जितनी की हिंदी में थी। उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री ली थी।
- अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1942 से हुई थी जब उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हिरासत में लिया गया था। 1951 में वे भारतीय जनसंघ के साथ जुड़ गए, जो आरएसएस और दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में गठित एक हिंदू दक्षिणपंथी पार्टी थी।
- अटल भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनका कांग्रेस से कोई नाता नहीं था।
- वाजपेयी 1957 में पहली बार संसद के लिए चुने गए थे, वे लगभग 4 दशक तक सांसद रहे। वे 9 बार लोकसभा के लिए और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे।