Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 Aug, 2025 01:24 PM

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जहां एक युवक पूरे 10 साल तक फर्जी पुलिसकर्मी बना रहा, पहले खुद को सिपाही बताया फिर दरोगा बनकर लोगों को डराया-धमकाया, शादी की और लाखों रुपए की ठगी करता रहा। सबसे...
Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जहां एक युवक पूरे 10 साल तक फर्जी पुलिसकर्मी बना रहा, पहले खुद को सिपाही बताया फिर दरोगा बनकर लोगों को डराया-धमकाया, शादी की और लाखों रुपए की ठगी करता रहा। सबसे हैरानी की बात यह है कि ससुराल और गांव वाले भी उसे असली दरोगा समझते रहे, लेकिन अब उसकी सच्चाई सामने आ चुकी है और वह जेल पहुंच चुका है।
2015 से शुरू हुआ फर्जीवाड़ा
इस पूरे मामले की शुरुआत साल 2015 में हुई। आजाद सिंह जादौन नाम का युवक कौशांबी का रहने वाला है। उसने खुद को पुलिस सिपाही बताया और एक थाने के पास कमरा लेकर रहने लगा। रोज वर्दी पहनता, बाहर निकलता और लोगों पर धौंस जमाता। लोग उसे सच में पुलिसवाला मानने लगे।
2020 में खुद को बना लिया 'दरोगा'
पांच साल बाद यानी 2020 में उसने खुद को प्रमोशन पाकर दरोगा बता दिया। नई वर्दी सिलवाई, बैज लगवाया और लोगों को कहने लगा कि अब वह सब-इंस्पेक्टर है। इसके बाद उसने गाड़ियां रोकना, लोगों से वसूली करना और पुलिस में नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लेना शुरू कर दिया।
फर्जी रुतबे पर कर ली शादी
2019 में आजाद सिंह ने अमोली गांव (सजेती) के जयवीर सिंह की बेटी सुजाता से शादी कर ली। ससुराल वालों को पूरा यकीन था कि उनकी बेटी की शादी एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी से हो रही है। आजाद हमेशा वर्दी पहनकर आता और कहता कि उसे स्पेशल जांच पर रखा गया है इसलिए थाने नहीं जाता। पत्नी सुजाता को भी यकीन था कि उसका पति असली दरोगा है। उसने कभी शक नहीं किया।
साले को बनाया सहयोगी
आजाद ने अपने साले सौरभ सिंह को भी इस फर्जीवाड़े में शामिल कर लिया। उसे फॉलोवर बना दिया और साथ में गाड़ी में बैठाकर वसूली करने लगा। सौरभ को भी लगा कि उसका जीजा असली दरोगा है, इसलिए वह भी पांच साल तक आंख मूंदकर साथ देता रहा।
बढ़ती गई ठगी की कहानी
आजाद का हौसला बढ़ता गया। अब वह सड़क पर गाड़ियां रोकता, चालान काटने का नाटक करता, लोगों को पुलिस में भर्ती करवाने का झांसा देता और लाखों रुपये की ठगी करता। ससुराल वाले और गांव वाले भी उस पर गर्व करते रहे, और उसे दरोगा साहब कहकर सलाम ठोकते थे।
एक गलती ने खोल दी पोल
हाल ही में सजेती इलाके में चोरी की वारदात हुई। जांच करने पहुंचे थानेदार अवधेश सिंह को गांववालों ने बताया कि एक दरोगा यहां वसूली करता है, गाड़ी रोकता है। जब थानेदार ने कागज चेक किए तो पता चला कि उस नाम का कोई दरोगा तैनात ही नहीं है। उन्होंने इटावा थाने में जानकारी ली जहां आजाद दावा करता था कि वह पोस्टेड है — पुष्टि हुई कि वह कभी दरोगा था ही नहीं।
सच्चाई सामने आने पर हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने आजाद सिंह को चौकी बुलवाया। वह फुल वर्दी में, साले सौरभ के साथ वहां पहुंचा। थानेदार को उसकी बातों में झोल नजर आया। घर की तलाशी ली गई तो वहां से नकली वर्दी, बेल्ट, पुलिस बैज और दूसरे सामान मिले।पूछताछ में आजाद ने सब सच उगल दिया।
अब सलाखों के पीछे
पुलिस ने आजाद और उसके साले सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में साफ हुआ कि वह 2015 से फर्जी सिपाही, और 2020 से फर्जी दरोगा बनकर दस साल तक ठगी करता रहा। थानेदार अवधेश सिंह ने बताया कि आजाद की सबसे बड़ी चालाकी ये थी कि वह कभी थाने नहीं जाता था, कहता था कि वह स्पेशल ड्यूटी पर है।
ससुराल और गांव वालों को बड़ा झटका
जब यह सच सामने आया, तो ससुराल और गांव में हड़कंप मच गया। सुजाता के पिता जयवीर सिंह ने कहा कि हमें गर्व था कि बेटी दरोगा के घर गई है। अब समझ में आया कि हम सबसे बड़े धोखे में थे। गांव के लोग भी हैरान हैं। सब मानते हैं कि वर्दी देखकर सब अंधे हो गए। किसी ने कागज या असली पहचान देखने की जरूरत ही नहीं समझी।