Edited By Ramkesh,Updated: 02 Sep, 2024 01:48 PM
उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती आरक्षण विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। इसके बाद से नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों पर नौकरी जाने का संकट खड़ा हो गया है। इसे लेकर नाराज अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती आरक्षण विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। इसके बाद से नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों पर नौकरी जाने का संकट खड़ा हो गया है। इसे लेकर नाराज अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर घेराव करने राजधानी लखनऊ पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जमकर लाठियां बरसाई। कुछ अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया है।
आप को बता दें कि दिसंबर 2018 में 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी, भर्ती में आरक्षण को लेकर सवाल उठे। आरक्षण मुद्दे को लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट में याचिका डाली। हाईकोर्ट की लखनऊ ने बेंच ने सरकार को जून 2020 की सूची पर फिर से विचार करने को कहा है। मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (ATRI)-2019 में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोटा तय करने में कई अवैध काम किए हैं।
तीन महीने के भीतर आरक्षण तय करे सरकार
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अंतिम सूची की समीक्षा अगले तीन महीने के भीतर उचित तरीके से आरक्षण तय कर करे। लगभग इस मामले में 7 साल होने के हैं लेकिन दोनों अभी तक इस 6,800 अभ्यर्थियों की नियुक्त नहीं हो सकती है। जिससे नाराज शिक्षक अभ्यर्थियों ने सीएम आवास को घेराव किया।
विवाद के बाद सरकार ने 6,800 आरक्षित पदों पर भर्ती की की थी बात
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण के बढ़ते विवाद के बाद सरकार ने 6,800 आरक्षित वगों के लिए भर्ती की बात कही थी। इस भर्ती पर हाई कोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने रोक लगा दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वर्ष 2018 में विज्ञापन 69 हजार रिक्तियों के अतिरिक्त बगैर विज्ञापन के एक भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगाते हुए साफ कहा कि यह स्थिति सरकार ने पैदा की है लिहाजा अब सरकार तय करें कि 6800 अभ्यर्थियों के बारे में क्या करना है?