UP Election 2022: मिर्जापुर में BJP की राह आसान नहीं, सभी सीटों पर सपा दे रही कांटे की टक्कर, लोग बोले- अखिलेश ही होंगे CM

Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Mar, 2022 02:29 PM

bjp s road is not easy in mirzapur sp is giving tough competition

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विधानसभा की पांच सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के लिए मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी का पड़ोसी होने के नाते भाजपा ने पिछली बार मिर्जापुर की सभी पांचों सीटों पर...

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विधानसभा की पांच सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के लिए मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी का पड़ोसी होने के नाते भाजपा ने पिछली बार मिर्जापुर की सभी पांचों सीटों पर ''मोदी लहर'' के दम पर जीत हासिल की थी। मिर्जापुर में पांच विधानसभा सीटें हैं- चुनार ,मरियां, मिर्जापुर नगर, मझवां और छनबे- जिन पर अंतिम चरण में मतदान होगा। इन सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए बसपा और कांग्रेस ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें से कुछ सीटों पर लोगों से बात करने के बाद उम्मीदवारों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर दिखाई दे रही है।

बता दें कि भाजपा ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों को दोहराया है और मझवां सीट सहयोगी निषाद पार्टी को दी है। अपना दल (कामेरवादी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के बाद मजबूत हुआ अखिलेश यादव की अगुवाई वाला सपा गठबंधन 2017 में भाजपा को मिले लाभ को छीनने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। प्रसिद्ध विंध्याचल मंदिर के लिए पहचाने जाने वाला मिर्जापुर, वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। पिछले चुनाव में वाराणसी में, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी, इसी तरह भगवा पार्टी ने मिर्जापुर की सभी पांच सीटों पर कब्जा किया था। विभिन्न मुद्दों के साथ एक महत्वपूर्ण विषय जिस पर स्थानीय लोग भाजपा नेताओं और राज्य सरकार से नाखुश हैं, वह है काशी विश्वनाथ परियोजना की तर्ज पर विंध्य परियोजना में 930 से अधिक घरों को ध्वस्त करना।

शिव राम मिश्रा ने कहा, ‘‘गिराए गए इन घरों के मालिकों को बाजार दर से कम पैसे दिए गये।'' एक अन्य व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ब्राह्मण और वैश्य समुदाय के लोगों के घरों को आसपास के क्षेत्रों में सड़कों को चौड़ा करने के लिए लिया गया लेकिन ठाकुरों के घरों को छोड़ दिया गया। एक अन्य व्यक्ति ने आरोप लगाया कि भाजपा के मौजूदा विधायक रत्नाकर मिश्रा स्थानीय लोगों की मदद के लिए आगे नहीं आए ‘‘जिनके हितों की बलि विंध्य परियोजना के नाम पर दी गई।''

नगर परिषद के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहा कि लोगों को जो भी नाखुशी है वह 4 मार्च को मिर्जापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद समाप्त हो गई है। जायसवाल ने कहा, ‘‘लोग अब सपा के काले दिनों में लौटने को तैयार नहीं हैं, जब गुंडागर्दी चरम पर थी।'' स्थानीय निवासी गुलाब चंद यादव ने बताया कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता मिर्जापुर में जीत के प्रति आश्वस्त हैं क्योंकि लोग अखिलेश यादव को फिर से मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। स्थानीय निवासी मुश्ताक अहमद और गोबिन अहमद ने महंगाई को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि सपा का शासन बेहतर था।

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