Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Dec, 2019 06:45 PM
अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के कुछ घंटे बाद मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला ‘सबूतों और तर्क'' पर...
नई दिल्लीः अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के कुछ घंटे बाद मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला ‘सबूतों और तर्क' पर आधारित नहीं है, इस वजह से यह कदम उठाया गया है।
मदनी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय अयोध्या पर दिए गए अपने फैसले को बरकरार रखता है तो जमीयत उसे मानेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। मामले में मुख्य दलील यह थी कि एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।''
मदनी ने कहा, ‘‘ न्यायालय ने कहा है कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, लिहाजा मुस्लिमों का दावा साबित हो गया लेकिन अंतिम फैसला इसके उलट था। फैसला हमारी समझ से परे है, इसलिए हमने पुनर्विचार याचिका दायर की है।'' उन्होंने कहा कि इससे देश का माहौल खराब नहीं होगा और पुनर्विचार याचिका इसलिए दायर की गई है, क्योंकि फैसला ‘सबूत और तर्क' पर आधारित नहीं है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसले में राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद का निपटारा करते हुए विवादित जगह राम लला विराजमान को दे दी थी। वहीं, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए कहीं और पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।