Edited By Ramkesh,Updated: 24 Aug, 2025 04:14 PM

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने रविवार को एक बार फिर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया। सुप्रीम...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने रविवार को एक बार फिर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से नाराज अभ्यर्थी धरने पर बैठे थे। अभ्यर्थियों ने यहां जोरदार नारेबाजी की। मौके पर भारी पुलिस बल प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस बैन में भर कर धरना स्थल पर भेज दिया।
सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आरोप है कि 19000 आरक्षित वर्ग की सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है। इसे लेकर पीड़ित अभ्यर्थी लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच गए थे। कोर्ट ने 13 अगस्त 2024 को इस भर्ती की पूरी सूची आरक्षण घोटाले को मानते हुए कर साथ ही सरकार को आदेश दिया कि नए सिरे से आरक्षण को लागू करके भर्ती को पूरा करे। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से प्रभावित छात्र इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। पिछले 12 महीने से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, लेकिन 22 से अधिक तारीख हो गई सुप्रीम कोर्ट में सरकार किसी भी तारीख पर अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हुई।
कल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर होनी है सुनवाई। धरना दे रहे छात्रों की मांग है कि सरकार कल सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होकर आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों के पक्ष में प्रपोजल पेश कर न्याय देने का प्रस्ताव रखे इसके लिए आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने केशव प्रसाद मौर्य के आवास को घेरने का प्रयास किया। इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मिला है सिर्फ 3.86% आरक्षण तथा एससी वर्ग को मिला है 21% की जगह सिर्फ 16.2% आरक्षण मिलने की बात कही गई है। आरोप है कि भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है।
गौरतलब है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन दिसंबर 2018 में निकला था।7 साल से आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी जिन्हें इस भर्ती में चयनित होना चाहिए था वह अपने न्याय के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से लगा रहे हैं न्याय की गुहार लेकिन 7 साल बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार नहीं दे रही न्याय। फिलहाल अब देखना होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखती है या फिर और कोई निर्णय लेती है।