Edited By Anil Kapoor,Updated: 10 Jul, 2025 02:33 PM

Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते अपने 3 विधायकों को पार्टी से बाहर निकाल दिया है। ये तीन विधायक हैं – मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, और अभय सिंह। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 5 जुलाई को पत्र जारी कर इस...
Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते अपने 3 विधायकों को पार्टी से बाहर निकाल दिया है। ये तीन विधायक हैं – मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, और अभय सिंह। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 5 जुलाई को पत्र जारी कर इस फैसले की जानकारी दी थी। अब उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने भी इन तीनों विधायकों को 9 जुलाई 2025 से "असंबद्ध" (Unattached) घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि अब ये विधायक विधानसभा में किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं माने जाएंगे। प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया है।
क्यों की गई यह कार्रवाई?
पिछले कुछ महीनों से इन तीनों विधायकों का पार्टी लाइन से अलग चलना, भाजपा के प्रति नरम रुख दिखाना और सपा के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखना चर्चा में था। मनोज पांडेय – कभी अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे, लेकिन अब पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। राकेश प्रताप सिंह – अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक हैं और कई बार भाजपा सरकार के पक्ष में बयान देते देखे गए। अभय सिंह – कई मौकों पर पार्टी लाइन से अलग बयान देते रहे। पार्टी पहले ही इनकी प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर चुकी थी। अब उन्हें पूरी तरह पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है और विधानसभा में भी अलग कर दिया गया है।
अखिलेश यादव का तंज
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन तीन विधायकों को बाहर करने के बाद तंज कसते हुए कहा, “हमने अपने तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित करके उनके मंत्री बनने में आ रही तकनीकी बाधा को दूर कर दिया। जब वे मंत्री बन जाएंगे, तो हम बाकी बागी विधायकों को भी निकाल देंगे।” इस बयान को भाजपा में इन नेताओं के संभावित शामिल होने की ओर संकेत माना जा रहा है।
असंबद्ध विधायक का क्या मतलब?
सपा के किसी कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते, सदन में समाजवादी पार्टी की ओर से नहीं बोल सकते, किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे। वे अब सदन में स्वतंत्र विधायक की तरह माने जाएंगे। इससे उनके बैठने की व्यवस्था, बोलने का समय, और संसदीय समितियों में भागीदारी पर असर पड़ेगा।
पार्टी में बढ़ती नाराजगी
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही सपा में अंदरूनी नाराजगी और टूट की खबरें आ रही थीं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी की कार्यशैली और रणनीति से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। ऐसे में यह कार्रवाई पार्टी की ओर से अनुशासन मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी एकजुट रह सके।