Edited By Anil Kapoor,Updated: 01 Jul, 2025 01:36 PM

Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जिले से पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। जहां 14 साल की एक नाबालिग लड़की से हुए रेप मामले में जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने केवल 6 समोसे लेकर मामले की सही जांच नहीं की और...
Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जिले से पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। जहां 14 साल की एक नाबालिग लड़की से हुए रेप मामले में जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने केवल 6 समोसे लेकर मामले की सही जांच नहीं की और गलत रिपोर्ट अदालत में दी। इस पूरे मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट के जज नरेंद्र पाल राणा ने पुलिस की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कड़ी फटकार लगाई है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के मुताबिक, यह घटना 1 अप्रैल 2019 की है। जलेसर थाना इलाके में स्कूल से लौट रही एक नाबालिग लड़की के साथ गांव का ही एक युवक वीरश ने खेत में जाकर अश्लील हरकतें कीं। जब 2 गांव के लोग वहां पहुंचे, तो आरोपी ने जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग गया। पीड़िता के पिता का कहना है कि पुलिस ने शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश की और एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया। उन्हें कोर्ट के आदेश के बाद ही मामला दर्ज कराया जा सका।
पुलिस की रिपोर्ट पर उठे सवाल
हालांकि मामला गंभीर था, पुलिस ने 30 दिसंबर 2024 को बिना पर्याप्त सबूत के ‘सबूतों के अभाव’ में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) अदालत में पेश कर दी। पीड़िता के पिता ने 27 जून 2025 को विरोध याचिका दाखिल कर बताया कि जांच अधिकारी ने मुख्य गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए और पीड़िता के बयान को भी नजरअंदाज किया। सबसे बड़ा आरोप यह है कि जांच अधिकारी ने आरोपी की दुकान से 6 समोसे रिश्वत के रूप में लेकर मामले की जांच में लापरवाही बरती। पुलिस की रिपोर्ट में लिखा गया कि लड़की ने केवल उधार के लिए समोसे मांगे थे और जब नहीं मिले तो झूठा मामला दर्ज करा दिया।
कोर्ट ने पुलिस की रिपोर्ट खारिज की
विशेष पॉक्सो कोर्ट के जज नरेंद्र पाल राणा ने पुलिस की यह रिपोर्ट सिरे से खारिज कर दी है। जज ने कहा कि इस तरह की लापरवाही पुलिसिंग पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। कोर्ट ने मामले को ‘परिवाद’ के रूप में चलाने का आदेश दिया है, जिससे अब इस केस की सुनवाई सीधे न्यायालय करेगा और पुलिस की भूमिका सीमित हो जाएगी। इससे पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।