Edited By Ramkesh,Updated: 28 Aug, 2025 03:44 PM

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी की जमानत याचिका पर 43 बार सुनवाई स्थगित करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। सीजेआई बी.आर. गवई और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने 25 अगस्त को आदेश पारित करते हुए...
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी की जमानत याचिका पर 43 बार सुनवाई स्थगित करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। सीजेआई बी.आर. गवई और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने 25 अगस्त को आदेश पारित करते हुए कहा कि आरोपी पहले ही तीन साल छह महीने से अधिक समय से जेल में है और ऐसे मामलों में बार-बार स्थगन अस्वीकार्य है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को तुरंत निपटाना चाहिए
पीठ ने कहा, “हमने बार-बार यह कहा है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों पर अदालतों को शीघ्रता से विचार करना चाहिए। उच्च न्यायालय से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह जमानत याचिकाओं को लंबित रखे और सिर्फ तारीखें देता रहे।”
सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
लंबे विलंब को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी-याचिकाकर्ता को जमानत देने का निर्णय लिया। अदालत ने कहा कि इस प्रकार के मामले संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी को कमजोर करते हैं।
पहले भी खींची थी हाईकोर्ट की क्लास
सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया कि इस साल मई में इसी केस के एक सह-अभियुक्त को जमानत दी गई थी। उस वक्त इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर 27 बार सुनवाई स्थगित की थी। तब भी शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि बिना प्रगति के जमानत याचिकाएं लंबित रखना गलत है। इस बार अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला और भी गंभीर है क्योंकि स्थगन की संख्या और लंबा इंतजार सीधे आरोपी की स्वतंत्रता पर चोट करता है।