Edited By Anil Kapoor,Updated: 08 Aug, 2025 09:37 AM

Bijnor News: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है। जहां एक 60 साल पहले मेले में अपने परिवार से बिछड़ी महिला, अब जाकर अपने भाई और परिवार से मिल पाई हैं। ये भावनात्मक मिलन रक्षाबंधन के खास मौके पर हुआ, जिससे परिवार और...
Bijnor News: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है। जहां एक 60 साल पहले मेले में अपने परिवार से बिछड़ी महिला, अब जाकर अपने भाई और परिवार से मिल पाई हैं। ये भावनात्मक मिलन रक्षाबंधन के खास मौके पर हुआ, जिससे परिवार और गांव में खुशी और भावुकता का माहौल है।
9 साल की उम्र में परिवार से बिछड़ी थी मुन्नी देवी
बिजनौर के कंभोर गांव की रहने वाली बालेश देवी उर्फ मुन्नी देवी (अब रेशमा देवी के नाम से जानी जाती हैं) बचपन में अपने परिवार के साथ गंगा स्नान मेले में गई थीं। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 9 साल थी। भीड़भाड़ और अफरातफरी में वे परिवार से बिछड़ गईं। उन्होंने बताया कि एक महिला ने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें किसी और को सौंप दिया। इसके बाद वे फर्रुखाबाद पहुंच गईं, जहां एक संतानहीन दंपती ने उनका पालन-पोषण किया और बाद में उनकी शादी सरोली गांव निवासी अमन सिंह से कर दी गई।
दादी की कहानी सुनकर पोते ने खोजा उनका असली घर
मुन्नी देवी ने कई बार अपने पति और आसपास के लोगों से कहा कि वह बिजनौर जाकर अपने परिवार से मिलना चाहती हैं, लेकिन किसी डर या संकोच के कारण उन्हें कभी वापस नहीं ले जाया गया। आखिरकार, उनकी ये बात उनके पोते प्रशांत ने सुनी और इसे गंभीरता से लिया। उसने ठान लिया कि वह अपनी दादी को उनके पैतरिक घर जरूर मिलवाएगा।
वीडियो कॉल से हुआ मिलन, फिर भाई लेने आया घर
प्रशांत अपनी दादी की जानकारी के आधार पर बिजनौर के कंभोर गांव पहुंचा। वहां उसने गांव में पूछताछ की और मुन्नी देवी के भाई जगदीश सिंह से संपर्क किया। इसके बाद प्रशांत ने वीडियो कॉल के जरिए दादी मुन्नी देवी और उनके भाई को मिलवाया। 60 साल बाद एक-दूसरे को देखकर दोनों की आंखों में आंसू आ गए। इस भावुक पल के बाद, भाई जगदीश और अन्य परिजन मुन्नी देवी को घर ले आए। पूरे परिवार और गांव में खुशी और भावुकता का माहौल है।
अब अपने भाई को राखी बांधेंगी मुन्नी देवी
मुन्नी देवी अब अपने भाई जगदीश सिंह को 60 साल बाद पहली बार राखी बांधेंगी। इस रक्षाबंधन पर ये मिलन उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा है। वहीं जहां एक ओर पूरा परिवार इस पुनर्मिलन से खुश और भावुक है, वहीं लोग पोते प्रशांत की कोशिशों की तारीफ कर रहे हैं, जिसने अपनी दादी को बचपन के बिछड़े भाई से फिर मिलाया।