Edited By Ajay kumar,Updated: 24 May, 2024 05:31 PM
हर परिवार की एक महिला के खाते में लाख रुपए का कांग्रेस का वादा हो या भाजपा की नारी शक्ति के सम्मान की बात मगर लोकसभा चुनाव में टिकट देने के मामले में लगभग हर राजनीतिक दल महिलाओं के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं। यही कारण है कि सातवें चरण के चुनाव में...
यूपी डेस्कः हर परिवार की एक महिला के खाते में लाख रुपए का कांग्रेस का वादा हो या भाजपा की नारी शक्ति के सम्मान की बात मगर लोकसभा चुनाव में टिकट देने के मामले में लगभग हर राजनीतिक दल महिलाओं के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं। यही कारण है कि सातवें चरण के चुनाव में उत्तर प्रदेश में सिर्फ सात फीसदी महिलाओं को टिकट दिए गए हैं।
इतनी कम संख्या में महिलाओं को चुनाव लड़ाना पुरुषवादी मानसिकता हुई उजागर
उत्तर प्रदेश इलैक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डैडॅमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण में 13 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले सभी 144 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है जिसमें पाया गया कि कुल दस महिला उम्मीदवारों को विभिन्न दलों ने टिकट से नवाजा है जो अब तक के चुनाव में सबसे कम है। भारत में 33 प्रतिशत लोकसभा व विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी के लिए कानून पारित हुआ है। ऐसे में इतनी कम संख्या में महिलाओं को चुनाव लड़ा कर कहीं न कहीं हम पुरुषवादी मानसिकता को दिखाना चाहते हैं। चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर के अलावा महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदोली, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में वोट डाले जाएंगे।
21 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले
144 में से 36 (25 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं जबकि 21 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए है जिसमें बहुजन समाज पार्टी के 13 में से पांच, भारतीय जनता पार्टी के 10 में से तीन, समाजवादी पार्टी के नौ में से सात और कांग्रेस के चार में से दो उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं।