Edited By Ramkesh,Updated: 11 Nov, 2024 12:48 PM
संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन होने जा रहा है ऐसे में सवाल है कि क्या जिस गंगा-यमुना नदी से लोगों की आस्था जुड़ी है उसकी सहायक नदियों में प्रतिदिन लाखों लीटर गंदा पानी जा रह है। उसके बाद वह पानी गंगा में पहुंच रहा है।
प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन होने जा रहा है ऐसे में सवाल है कि क्या जिस गंगा-यमुना नदी से लोगों की आस्था जुड़ी है उसकी सहायक नदियों में प्रतिदिन लाखों लीटर गंदा पानी जा रह है। उसके बाद वह पानी गंगा में पहुंच रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इसे लेकर कहा कि चार सप्ताह के भीतर यूपी के मुख्य सचिव से हालात से निपटने और जल को दूषित होने से रोकने के फौरी उपायों के साथ हलफनामा देने को कहा है। मामले में सुनवाई 20 जनवरी तय की। पिछली सुनवाई में गंगा में प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण पर विचार करते हुए ट्रिब्यूनल ने यूपी सहित विभिन्न राज्यों से अनुपालन रिपोर्ट मांगी थी।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 6 नवंबर के आदेश में कहा कि यूपी के प्रयागराज में गंगा का जल आचमन के लायक भी नहीं रह गया। जिले में 25 खुले नालों से गंगा नदी में और 15 खुले नालों से यमुना नदी में सीवेज की गंदगी गिर रही है। उसके अनुसार प्रयागराज जिले में सीवेज की गंदगी के शोधन में 128 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) का अंतर पाया गया है। पीठ में न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेष सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।
23 सितंबर को पेश जांच रिपोर्ट को लेकर फिर से एनजीटी ने असंतोष जाहिर करते हुए सरकारी वकीलों से मौखिक रूप से कहा है कि गंगा और यमुना का पानी न नहाने और न आचमन के लायक है इस पर आप लोग हर जगह क्यों नहीं नोटिस चस्पा करते और क्यों नहीं अखबारों में प्रकाशित करा देते हैं कि प्रयागराज में गंगा और यमुना का पानी प्रदूषित है। आगे एनजीटी ने ये भी कहा कि कम से कम लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ तो न करें।
एनजीटी ने ये भी कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान गंगा व यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक्शन प्लान मांगा गया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है। दूसरी ओर एनजीटी के सामने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूपी के क्षेत्रीय अधिकारी ने एक एफिडेविट दाखिल किया और कहा कि बगैर सोधित गंगा व यमुना में जल गिराने पर 9 अगस्त को नगर निगम प्रयागराज को क्षतिपूर्ति के तौर पर 129 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. हालांकि, लेकिन एनजीटी ने इस बारे में जब पूछा कि वसूली कितनी की गई तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास इस बारे में कोई जवाब नहीं था। फिलहाल 2025 में होने जा रहे महाकुंभ को लेका तैयारियां चल रहे हैं जब देखना हो कि क्या गंगा नदी के जल की शुद्धता को लेकर सरकर क्या कदम उठाती है।