Prayagraj: फीस वृद्धि के खिलाफ मरने मिटने को तैयार… पुलिस-प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों को भू-समाधि लेने से रोका

Edited By Mamta Yadav,Updated: 27 Sep, 2022 08:39 PM

police administration stopped agitating students from taking bhoomi samadhi

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मंगलवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के उस समय हाथ पांव फूल गए जब फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने अनशन स्थल के पास गड्ढा खोदकर भू-समाधि लेने की कोशिश की।

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मंगलवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के उस समय हाथ पांव फूल गए जब फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने अनशन स्थल के पास गड्ढा खोदकर भू-समाधि लेने की कोशिश की। इसी बीच दोपहर आंदोलनकारी छात्रों ने धरना स्थल के पास पांच फुट गड्ढा खोदा और जब तक वहां तैनात पुलिसकर्मी कुछ समझ पाते छात्र उस गड्ढे में भू-समाधि लेने लगे, तभी पुलिस बल गड्ढे के पास पहुंचा और छात्रों को बलपूर्वक वहां से बाहर निकालना शुरू कर दिया।

छात्रों ने पुलिसकर्मियों के हटने के बाद गड्ढे में किया पौधारोपण
छात्रों को गड्ढे से बाहर निकालने और अन्य छात्रों के गड्ढे में जाने का सिलसिला करीब आधे घंटे तक चलता रहा और इस दौरान प्रशासन से एडीएम सिटी और एसीएम (चतुर्थ) तथा पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्य में पुलिसकर्मियों का हाथ बंटाते रहे। छात्रों द्वारा फावड़ा कहीं छिपा दिए जाने की वजह से गड्ढे को पाटा नहीं जा सका। करीब आधे घंटे बाद पुलिसकर्मी उस गड्ढे में उतर गए और गड्ढे को चारों ओर से घेर लिया। अंततः आंदोलनरत छात्रों ने पुलिसकर्मियों के हटने के बाद उस गड्ढे में पौधारोपण कर दिया।

फीस वृद्धि से बहुत से छात्र शिक्षा से रह जाएंगे वंचित: छात्र
एनएसयूआई से जुड़े आंदोलनरत छात्र आदर्श सिंह भदौरिया ने कहा कि फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र मरने मिटने को तैयार हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि वापस नहीं लेने के अपने रुख पर अड़ा है, कुलपति का यह बहुत ही तानाशाही रवैया है। इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति- राष्ट्रपति को पोस्टकार्ड के माध्यम से विश्वविद्यालय में चल रहे आंदोलन से अवगत कराने के लिए पत्र लिखा है। पत्र में लिखा गया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनैतिक रूप से 300 प्रतिशत फीस वृद्धि की गई है जिससे सामान्य एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के बहुत से छात्र शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। पत्र में राष्ट्रपति से इस फीस वृद्धि को वापस लिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

तानाशाह कुलपति के फैसले से सरकार की छवि हो रही धूमिल: त्रिपाठी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश संयोजक (खेल गतिविधि) कार्तिकेय पति त्रिपाठी ने कहा, “हमारी लड़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तानाशाह कुलपति से है क्योंकि इनके फैसले (फीस वृद्धि) से केंद्र और प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है।” उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि सरकार इस विषय को स्वतः संज्ञान में लेकर फीस वृद्धि को वापस लेने का निर्देश जारी करे।” छात्रों के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे सत्यम कुशवाहा ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के बल पर फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन छात्र किसी भी तरह के बल प्रयोग से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन में विश्वविद्यालय की छात्राएं भी शामिल हो गई हैं जबकि उन्हें महिला छात्रावास से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था।

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर की शिक्षा की फीस प्रति छात्र 975 रुपये प्रतिवर्ष थी जिसे हाल ही में 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 4,151 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। इस फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग के साथ छात्र पिछले 16 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने बताया कि बढ़ी हुई फीस स्नातक कोर्स में प्रवेश लेने जा रहे नए छात्र छात्राओं पर लागू होगा और पुराने छात्रों पर पुरानी फीस लागू होगी।

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