Edited By Pooja Gill,Updated: 16 Jul, 2025 09:27 AM

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामपुर स्थित यतीमखाना से 2016 में जबरदस्ती बेदखली के मामले में सुनवाई मंगलवार को टाल दी और अगली सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय की...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामपुर स्थित यतीमखाना से 2016 में जबरदस्ती बेदखली के मामले में सुनवाई मंगलवार को टाल दी और अगली सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय की। न्यायमूर्ति समीर जैन ने यह आदेश मोहम्मद इस्लाम और अन्य की याचिका पर दिया। समाजवादी पार्टी नेता आजम खान की एक अन्य याचिका भी इस याचिका के साथ ही जुड़ी है।
इस मामले में करीब 12 अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं, जिसमें पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान और कई अन्य को आरोपी बनाया गया है। इससे पूर्व, 11 जून को उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस मामले में निचली अदालत सुनवाई जारी रखेगी, लेकिन कोई अंतिम आदेश पारित नहीं करेगी। बाद में आजम खान की याचिका भी, मोहम्मद इस्लाम के मामले से जोड़ दी गई थी। यह मामला 15 अक्टूबर, 2016 की कथित घटना से जुड़ा है, जिसमें यतीमखाना (वक्फ संख्या 157) नाम से अनाधिकृत ढांचे को ध्वस्त किया गया था।
थाने में 12 प्राथमिकियां की गई दर्ज
इस मामले में 2019 और 2020 के बीच रामपुर जिले के कोतवाली थाने में 12 प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। शुरुआत में इन प्राथमिकियों को लेकर अलग -अलग मुकदमे चलाए गए जिन्हें विशेष न्यायाधीश (एमपी..एमएलए) रामपुर द्वारा आठ अगस्त, 2024 को एक एकल मुकदमे में समेकित कर दिया गया। प्रमुख हस्तियों समेत इन आरोपियों पर भादंसं के तहत डकैती, घुसपैठ और आपराधिक षड़यंत्र के आरोप लगाए गए। इस याचिका में निचली अदालत के 30 मई, 2025 के निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारुकी समेत प्रमुख गवाहों को बुलाने और 2016 के बेदखली की घटना का वीडियोग्राफिक साक्ष्य पेश कराने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था। इन याचिकाकर्ताओं की दलील है कि फारुकी के इस साक्ष्य/की गवाही से वे घटनास्थल पर अपनी अनुपस्थिति साबित कर सकेंगे।