Edited By Ramkesh,Updated: 27 Aug, 2025 08:30 PM

देश के विभिन्न राज्यों में बादल फटने, भूस्खलन जैसी आपदाओं के बीच बांध से पानी छोड़े जाने से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बार फिर बाढ़ के हालात बन रहे हैं और गंगा-यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच रहा है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह...
प्रयागराज: देश के विभिन्न राज्यों में बादल फटने, भूस्खलन जैसी आपदाओं के बीच बांध से पानी छोड़े जाने से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बार फिर बाढ़ के हालात बन रहे हैं और गंगा-यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच रहा है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि बुधवार शाम चार बजे तक नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 83.98 मीटर दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया कि वहीं फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर 83.79 मीटर, छतनाग में 83.36 मीटर और बक्शी बांध पर 83.98 मीटर दर्ज किया गया। उपजिलाधिकारी (सदर) अभिषेक सिंह ने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए सदर क्षेत्र में पांच आश्रय स्थल मंगलवार से ही शुरू हो गए हैं, जिनमें लगभग 1200 लोग आ भी चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन आश्रय स्थलों में एक केंद्र आश्रय स्थल सदर बाजार में है, एक आश्रय स्थल छोटा बघाड़ा में एनी बेसेंट स्कूल में खोला गया है। तीन आश्रय स्थल अन्य जगहों पर खोले गए हैं। इसके अलावा, तीन आश्रय स्थल जल्द ही खोल दिये जाएंगे।
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा, “जगह जगह बनाए गए बैराज और बांध से पानी छोड़े जाने की वजह से संगम नगरी में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।” उन्होंने कहा, “हम शुरू से कह रहे हैं कि यह विकास नहीं, बल्कि विनाश का मॉडल है। यूरोप के छोटे-छोटे देशों के मॉडल को आप भारत जैसे विशाल देश में लागू नहीं कर सकते। यदि करेंगे तो यही भुगतना पड़ेगा।
चतुर्वेदी ने कहा, “हमने सन 1966 की बाढ़ भी देखी है और 1978 की बाढ़ भी देखी है। बांध अधिक होने से ऐसा पहली बार हो रहा है कि जिले में बाढ़ बार-बार दस्तक दे रही है। वर्ष 1978 तक उतने बांध नहीं थे। ऊपर (पर्वतीय राज्यों) से अधिक पानी आने पर बांध को खतरा हो रहा है, जिनसे बार-बार पानी छोड़ा जा रहा है।” उन्होंने कहा कि पिछले 50 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है जब बार-बार बाढ़ का पानी जिले में आ रहा है और इसकी वजह प्रकृति से छेड़छाड़ है।